सोने की तस्करी पर लगाम! सरकार ने गोल्ड वाले अलॉय और केमिकल के आयात पर लगाई रोक

Gold Smuggling India: भारत सरकार ने गोल्ड की तस्करी रोकने के लिए कोलॉइडल प्रेशियस मेटल्स और 1% से ज्यादा गोल्ड वाले अलॉय के आयात पर पाबंदी लगाई है। इंडस्ट्रियल यूज के लिए सीमित छूट जारी रहेगी।

अपडेटेड Jun 19, 2025 पर 11:07 PM
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पैलेडियम, रोडियम और इरिडियम अलॉय का आयात भी सीमित कर दिया गया है।

Gold Smuggling India: केंद्र सरकार ने कोलॉइडल प्रेशियस मेटल्स (Colloidal Precious Metals) के आयात पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लागू कर दी हैं। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब तक ‘फ्री’ कैटेगरी में आने वाले इन उत्पादों को ‘रिस्ट्रिक्टेड’ श्रेणी में डाल दिया गया है। इस कदम का मकसद भारत में तरल रूप में हो रहे अवैध गोल्ड इम्पोर्ट को रोकना है।

इसके अलावा ऐसे पैलेडियम, रोडियम और इरिडियम अलॉय का आयात भी सीमित कर दिया गया है, जिनमें सोने की मात्रा 1% से अधिक हो। सूत्रों के मुताबिक, कुछ आयातक थाईलैंड जैसे देशों से इन केमिकल फॉर्म्स के जरिए सोना मंगाकर टैक्स और रेगुलेटरी नियमों से बचने की कोशिश कर रहे थे।

क्या हैं कोलॉइडल प्रेशियस मेटल्स?


इनमें सोना या चांदी जैसे बेशकीमती धातुओं के नैनोपार्टिकल्स किसी लिक्विड में सस्पेंड रहते हैं। ये खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और केमिकल इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों में प्रयोग किए जाते हैं। DGFT के अनुसार, इस कैटेगरी के तहत आने वाले आइटम्स- जैसे कोलॉइडल गोल्ड, इनऑर्गेनिक व ऑर्गेनिक प्रेशियस मेटल कंपाउंड्स अब रेगुलेटेड रहेंगे।

क्या उद्योगों पर भी होगा असर?

सरकार ने इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कुछ छूट भी दी है। ऐसे अलॉय जिनमें सोने की मात्रा 1% से कम है, उनका आयात पहले की तरह ‘फ्री’ रहेगा। वहीं, जिन उत्पादों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल और स्पेशलाइज्ड केमिकल इंडस्ट्री में होता है, उनका आयात आवश्यक प्राधिकरण (Import Authorization) के तहत जारी रहेगा।

DGFT ने अपने बयान में कहा, “यह कदम व्यापार को बिना बाधा जारी रखने और साथ ही रेगुलेटरी निगरानी को मजबूत करने की दिशा में एक संतुलित नीति है।” इस नीति बदलाव के बाद अब गोल्ड की तस्करी के लिए इस्तेमाल हो रही केमिकल रूट की निगरानी और नियंत्रण पहले से बेहतर हो सकेगा। वहीं, असल औद्योगिक जरूरतों पर भी कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा।

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