Gujarat New Solar Policy: गुजरात सरकार सोलर पावर जनरेशन के लिए एक नई पॉलिसी लाने जा रही है। इस पॉलिसी से गुजरात में छोटे-मझोले सोलर पावर प्रोड्यूसर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गुजरात के दूर-दराज गांवों में आपको हजारों एकड़ में ऐसे सोलर पावर पैनल दिखेंगे।
किसानों की जमीन लीज पर लेकर सोलर प्रोड्यूसर्स यहां बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। हाल ही में गुजरात सरकार ने 'ग्रांट ऑफ कनेक्टिविटी टू रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट गुजरात 2025' नाम से ड्राफ्ट जारी किया है। इससे छोटे-मझोले सोलर पावर प्रोड्यूसर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस ड्राफ्ट में ऐसे प्रावधान हैं जिससे अब कोई नया सोलर पावर डेवलपर निवेश नहीं कर सकता।
ड्राफ्ट के मुताबिक सोलर पावर डेवलपर का जमीन पर मालिकाना हक होना चाहिए। नहीं तो एक मेगावाट पर 31 लाख रुपए की नॉन-रिफंडेबल सिक्योरिटी लगेगी। वहीं स्ट्रेंथनिंग चार्ज 15 लाख रुपए प्रति मेगावाट लगेगा। ये दोनों नियम पहले नहीं थे। इसके अलावा एक लाख रुपए कनेक्टिविटी चार्ज लगेगा जो कि नॉन-रिफंडेबल होगा। ये चार्ज पहले PPA के बाद ही देना पड़ता था।
प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद 10 फीसदी पावर जनरेशन एक महीने में करना होगा। लेकिन सरकार अलग से 10फीसदी पावर जनरेशन की मंजूरी नहीं देती।नए नियम लागू होने के बाद सोलर पावर डेवलपर्स और जमीन देने वाले किसान दोनों मुश्किल में आ सकते हैं।
गुजरात फेडरेशन ऑफ सोलर इंडस्ट्रीज के मुताबिक अभी गुजरात में एक हजार सोलर डेवलपर्स 35 गीगावॉट सोलर पावर जनरेशन करते हैं, जिसे 2030 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। वहीं केंद्र सरकार ने 300 गीगावॉट सोलर पावर का लक्ष्य रखा है। लेकिन अब नए डेवलपर्स को इस क्षेत्र में आने में मुश्किल हो सकती है और हजारों करोड़ का निवेश अटक सकता है।
गांव की जमीन पर सोलर प्लांट से अभी हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। अगर नए नियम लागू हुए तो गुजरात में अब नए सोलर डेवलपर्स निवेश नहीं कर पाएंगे। इस सेक्टर में सिर्फ बड़े प्लेयर ही रहेंगे।