Himachal one Bride and two Grooms Tradition : हिंदू धर्म के शास्त्रों में विवाह को पवित्र संस्कार माना गया है, जो 16 संस्कारों में से एक है। विवाह के दौरान अलग-अलग समाजों में विभिन्न रीति-रिवाज और परंपराएं निभाई जाती हैं। वहीं हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले के शिलाई गांव में हाल ही में हुई एक अनोखी शादी को लेकर काफी चर्चा है। देश में इस अनोखी शादी की चर्चा ही नहीं बल्कि इसपर बहस भी चल रही है। यहां की रहने वाली सुनीता चौहान ने दो सगे भाइयों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी से एक साथ शादी की है।
क्या है 'जोड़ीदारा' प्रथा
यह शादी अनुसूचित जनजाति का दर्ज प्राप्त हाटी समुदाय की पुरानी बहुपति प्रथा के तहत हुई है, जिसे स्थानीय भाषा में 'जोड़ीदारा' या 'जाजड़ा' कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में ये अनोखी परंपरा आज भी देखी जाती है, जिसकी जड़ें महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती हैं। हम बात कर रहे हैं "जोड़ीदारा" नाम की प्राचीन परंपरा की, जिसमें एक महिला अपनी इच्छा से दो पुरुषों से शादी कर सकती है।
वहीं हिमाचल के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में हट्टी जनजाति से जुड़े दो भाइयों ने एक ही महिला से शादी की। यह शादी उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार हुई और अब यह घटना चर्चा का विषय बन गई है। इस घटना के बाद बहुपतित्व (एक महिला के एक से ज्यादा पतियों से विवाह) को लेकर एक बार फिर समाज में बहस छिड़ गई है — कि क्या यह परंपरा आज के समय में भी प्रासंगिक है या नहीं
पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई शादी
12 जुलाई को सुनीता चौहान ने बिना किसी दबाव के, अपनी इच्छा और दोनों परिवारों की सहमति से दो भाइयों — प्रदीप और कपिल नेगी से शादी की। तीन दिन तक चलने वाला यह विवाह समारोह 14 जुलाई को संपन्न हुआ, जिसमें स्थानीय "जजदा" रीति-रिवाजों का पालन किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शादी के दौरान एक पुजारी ने 'सींज' किया, मंत्र पढ़े, पवित्र जल का छिड़काव किया, और कुलदेवता को गुड़ चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लिया। यह शादी अब चर्चा का विषय बन गई है और पहाड़ी परंपराओं को लेकर लोगों में नई जिज्ञासा भी जागी है।
जोड़ीदारा में पतियों के साथ समय बिताने का तरीका भी अनोखा
वाईएस परमेर ने अपनी रिसर्च में बताया कि जोड़ीदारा प्रथा में पत्नी खुद तय करती है कि वह किस पति के साथ समय बिताएगी। उन्होंने लिखा कि कई बार यह दिखाने के लिए कि पत्नी किसी एक पति के साथ है, कमरे के बाहर जूता या टोपी रख दी जाती है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ज़्यादातर मामलों में पत्नी अपने सभी पतियों के साथ एक ही कमरे में रहती है, और अपनी मर्जी से यह तय करती है कि किस रात किस पति के साथ रहेगी। आमतौर पर वह बारी-बारी से सभी पतियों को बराबर समय देती है और शिकायतें बहुत कम होती हैं। यह तरीका पारंपरिक रीति-रिवाजों और आपसी समझदारी पर आधारित है, जहाँ सभी पति इस व्यवस्था को स्वीकार करते हैं।
हिमाचल में बहुपति प्रथा क्यों आज भी है चलन में ?
हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में आज भी बहुपति प्रथा (एक महिला का एक से ज़्यादा पतियों से विवाह) देखी जाती है। इसके पीछे कई सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है ज़मीन का बंटवारा रोकना, ताकि पारिवारिक संपत्ति एक ही जगह बनी रहे। साथ ही, परिवार में एकता और सुरक्षा बनी रहती है। इसके अलावा, यह प्रथा स्थानीय परंपराओं और संस्कृति का हिस्सा मानी जाती है, जिसे समाज में स्वीकृति भी मिली हुई है। इसलिए, आधुनिक दौर में भी कुछ समुदाय इस परंपरा को मानते आ रहे हैं।
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