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'Saven Thursday six Harendra sixty rupees' हिमाचल के स्कूल प्रिंसिपल का अंग्रेजी में लिखा चेक हुआ वायरल, बैंक किया रिजेक्ट

यह घटना हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की है, जहां रोनहाट में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल ने 7,616 रुपए के चेक पर साइन कर दिए। चेक पर अमाउंट तो सही लिखी था, लेकिन शब्दों ने सबको चौंका दिया। चेक पर सही शब्दों की बजाय लिखा था- "Saven Thursday six Harendra sixty rupees only"

अपडेटेड Sep 30, 2025 पर 6:32 PM
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हिमाचल के स्कूल प्रिंसिपल का अंग्रेजी में लिखा चेक हुआ वायरल, बैंक किया रिजेक्ट

आजकल स्कूल ऊंची-ऊंची फीस वसूलते हैं, और माता-पिता अक्सर बढ़ती फीस का बोझ उठाने के लिए संघर्ष करते हैं। जाहिर हर कोई इतनी महंगी फीस सिर्फ इसलिए देने को मजबूर है ताकि उनके बच्चे अच्छी से अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें और स्कूलों क्वालिटी और माहौल भी बेहतर हो। लेकिन सोचिए तब क्या हो जब किसी स्कूल का प्रिंसिपल ही अंग्रेजी के चार शब्द भी ठीक से पढ़ पाए। ऐसा एक मामला सोशल मीडिया पर वायरल, जहां एक स्कूल प्रिंसिपल के हाथों गलत भरा हुआ चेक काफी सुर्खियां बटोर रहा है।

यह घटना हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की है, जहां रोनहाट में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल ने 7,616 रुपए के चेक पर साइन कर दिए। चेक पर अमाउंट तो सही लिखी था, लेकिन शब्दों ने सबको चौंका दिया। चेक पर सही शब्दों की बजाय लिखा था- "Saven Thursday six Harendra sixty rupees only"

X पर एक यूजर ने चेक की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "7,616 रुपए... 'Saven Thursday six Harendra sixty rupees only।' सिरमौर के रोनहाट स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल की ओर से जारी 7,616 रुपए का चेक सुर्खियां बटोर रहा है। रकम से ज्यादा, यह चेक अपने शब्दों की वजह से वायरल हो रहा है।"


29 सितंबर को अपलोड की गई इस पोस्ट को अब तक 2,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है। जल्द ही, यूजर्स ने मजाक और तीखी टिप्पणियों के साथ प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया।

कुछ लोगों ने तो यह भी पूछा कि जब स्कूल के प्रिंसिपल ही ऐसी गलतियां करते हैं, तो छात्रों को क्या सबक मिलेगा।

एक व्यक्ति ने लिखा, "पेन के ऑटो करेक्ट सिस्टम में खराबी!"

एक और ने इसे "देश और समाज पर बोझ, हिमाचल की जनता पर बोझ" कहा।

किसी और ने टिप्पणी की, "आरक्षण हटाओ, देश बचाओ।"

स्कूल की हुई बदनामी

बाद में रिपोर्टों से पुष्टि हुई कि बैंक ने चेक रिजेक्ट कर दिया था, और स्कूल को सही चेक जारी करना पड़ा। लेकिन नुकसान तो हो ही चुका था। इस चेक की तस्वीर सोशल मीडिया पर फैल गई, जो एक मीम बन गई और शिक्षा की गुणवत्ता पर बहस छिड़ गई।

कुछ लोगों ने कथित तौर पर प्रिंसिपल का बचाव करते हुए कहा कि स्पेलिंग की गलतियां किसी से भी हो सकती हैं, इस पर कई लोगों ने तर्क दिया कि इस तरह की गलतियां तब ज्यादा मायने रखती हैं, जब वे हस्ताक्षर और स्कूल की मुहर वाले किसी आधिकारिक दस्तावेज का हिस्सा हों, खासकर जब पब्लिक का पैसा लगा हो।

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