CJI BR Gavai: 'मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'; भगवान विष्णु पर टिप्पणी कर घिरे चीफ जस्टिस बीआर गवई की सफाई, जानें- क्या है पूरा मामला

CJI BR Gavai: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने गुरुवार (18 सितंबर) को स्पष्ट किया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में खजुराहो के भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण पर अदालती सुनवाई के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया

अपडेटेड Sep 18, 2025 पर 5:30 PM
Story continues below Advertisement
CJI BR Gavai: चीफ जस्टिस ऑफ बीआर गवई ने उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया

CJI BR Gavai: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने खजुराहो मंदिर परिसर में मौजूद भगवान विष्णु की एक मूर्ति के पुनर्निर्माण के मामले में अपनी टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद गुरुवार (18 सितंबर) को कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में खजुराहो स्मारकों पर अदालती सुनवाई के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। CJI गवई ने कहा, "किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, इन्हें सोशल मीडिया पर गलत ढंग से पेश किया गया है... मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।"

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यूनेस्को की विश्व विरासतों में शुमार मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो मंदिर के परिसर में मौजूद जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची प्रतिमा को पुन: स्थापित करने के अनुरोध से जुड़ी एक याचिका मंगलवार को खारिज कर दी थी।

इस दौरान पीटीआई के मुताबिक चीफ जस्टिस गवई ने कहा था, "यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए दायर याचिका है... जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।"


चीफ जस्टिस ने आगे कहा था, "इस बीच, अगर आप चाहें तो वहां जाकर पूजा कर सकते हैं... वहां एक बहुत बड़ा शिवलिंग है, जो खजुराहो में सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।" CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्र ने राकेश दलाल नामक व्यक्ति की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

उस याचिका में छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कराने का अनुरोध किया गया था। चीफ जस्टिस की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई आलोचनात्मक पोस्ट सामने आई।

याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मूर्ति का सिर जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। इसके पुनर्निर्माण की अनुमति देने के लिए अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि यह मुद्दा पूरी तरह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है।

चीफ जस्टिस ने कहा, "यह (मूर्ति) पुरातात्विक खुदाई में मिली थी, एएसआई ऐसा करने (मूर्ति को ठीक करने) की अनुमति देगा या नहीं... इसको लेकर कई मुद्दे हैं।" साथ ही CJI ने कहा, "इस बीच, अगर आप चाहें तो वहां जाकर पूजा कर सकते हैं... वहां एक बहुत बड़ा शिवलिंग है, जो खजुराहो में सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है।"

सीनियर वकीलों का बयान

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मैं पिछले 10 वर्षों से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को जानता हूं। हम न्यूटन के नियम को भी जानते हैं कि प्रत्येक क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है... अब प्रत्येक क्रिया पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया होती है।" उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस सभी धार्मिक स्थलों पर गए हैं।

ये भी पढ़ें- Azam Khan Bail: आजम खान रामपुर क्वालिटी बार कब्जा मामले में बरी, अब जल्द ही जेल से बाहर आएंगे सपा नेता

अदालत कक्ष में मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीटीआई से कहा, "हम हर रोज कष्ट झेलते हैं, यह एक बेलगाम घोड़ा है, इसे काबू में करने का कोई तरीका नहीं है।" सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नेपाल में हाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 18, 2025 5:14 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।