Zoho के फाउंडर और चीफ साइंटिस्ट श्रीधर वेम्बू ने कहा कि भारत के पढ़े लिखे वर्ग को देश के प्रति अपने लगाव और जिम्मेदारी की भावना फिर से जगानी चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे सच्चे राष्ट्रवाद के रूप में अपनी स्थानीय भाषाओं और क्षेत्रीय पहचान को अपनाएं। उन्होंने कहा कि भारत का विकास सिर्फ आर्थिक प्रगति पर नहीं, बल्कि देशभक्ति की भावना पर भी निर्भर करता है।
वेम्बू ने कहा, "हमें, खासकर हमारे शिक्षित वर्ग में, यह भावना पैदा करनी होगी कि हम इस देश के हैं। यह देशभक्ति की भावना जरूरी है। इस भावना के बिना विकास का कोई मतलब नहीं है।" उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि वैश्वीकरण के कारण कई शहर में रहने वाले भारतीय खुद को अपनी जड़ों से अलग होकर "वैश्विक नागरिक" के रूप में देखने लगे हैं।
उन्होंने सांस्कृतिक और भाषाई गौरव को फिर से जिंदा करने की मांग की और लोगों से आग्रह किया कि वे राज्यों के बीच आते-जाते वक्त क्षेत्रीय भाषाएं सीखें और उनका इस्तेमाल करें।
उन्होंने कहा, "तमिलनाडु में, मैं जितना हो सके तमिल बोलता हूं। और मैं लोगों से कहता हूं, अगर आप बेंगलुरु जा रहे हैं, तो कन्नड़ सीखें। अगर आप मुंबई जा रहे हैं, तो मराठी सीखें। हमारी सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं।"
ग्रामीण और शहरी भारत के बीच तेज अंतर को उजागर करते हुए वेम्बू ने कहा कि भारत के गांवों और छोटे शहरों में अपनेपन की भावना मजबूत बनी हुई है, लेकिन शहर के एलीट क्लास में यह भावना गायब हो रही है।
उन्होंने कहा, "अगर आप ग्रामीण भारत को देखें, अगर आप हमारे छोटे शहरों को देखें, तो आपको राष्ट्र के प्रति अपनेपन का एहसास होता है। दुर्भाग्य से, हमारे अति-शिक्षित अभिजात वर्ग में यह भावना लुप्त हो गई है। इस तरह के संपर्क के कारण, हम सोचते हैं, 'मैं एक वैश्विक नागरिक हूं। मैं कहीं भी रह लूंगा।' इस नजरिए को बदलना होगा।"
वेम्बू ने इस राष्ट्रवादी भावना को सीधे तौर पर Zoho की फिलॉसफी और विकास से जोड़ा। तमिलनाडु में हेडक्वार्टर वाली इस कंपनी ने ग्रामीण इलाकों में अपने दफ्तर और ट्रेनिंग सेंटर बनाए हैं, ताकि अवसरों को बड़े शहरों तक सीमित न रखकर लोकल टैलेंट को भी जोड़ा जा सके।
उन्होंने कहा, “Zoho इसलिए नहीं चल रही है क्योंकि मैं कोई जीनियस हूं, बल्कि इसलिए क्योंकि हमारे हर कर्मचारी में देशभक्ति की भावना है। उन्हें लगता है कि हमें अपने देश के लिए, अपने देश में कुछ बनाना है। यही भावना ही Zoho की असली ताकत है।”
उन्होंने जापान, कोरिया और चीन जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों ने इसलिए तेजी से विकास किया, क्योंकि उनमें राष्ट्रीय गर्व और आत्मनिर्भरता की भावना थी।
उन्होंने आगे कहा, “अगर यह भावना न हो, तो विकास या ब्रेन ड्रेन जैसे मुद्दों पर बात करने का कोई मतलब नहीं रह जाता।”