रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार 4 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय भारत दौरे पर आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर हो रही यह यात्रा चार साल बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा है। पुतिन की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। इसमें रक्षा सहयोग, न्यूक्लियर एनर्जी और ऑयल ट्रेड जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा शामिल है।
राष्ट्रपति पुतिन के साथ होने वाली इन उच्चस्तरीय वार्ताओं के दौरान भारत रूस के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम S-500 को हासिल करने की मांग भी उठा सकता है, ताकि भारतीय आसमान की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके और देश के एयर डिफेंस सिस्टम में एक अतिरिक्त सुरक्षा परत जोड़ी जा सके।
भारत अभी रूस के S-400s का इस्तेमाल कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान ने भारत के सिविल और मिलिट्री ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और मिसाइलों की बौछार की थी, तब S-400s ने सफलतापूर्वक इन हमलों को रोककर अपनी क्षमता दिखाई थी। भारत की अच्छी तरह से बनी हुई एयर डिफेंस क्षमता, जिसमें घरेलू और इंटरनेशनल हथियार शामिल हैं, की वजह से पाकिस्तान का एक भी ड्रोन या मिसाइल भारतीय टारगेट को हिट नहीं कर पाया।
S-400 की इस सिद्ध क्षमता को देखते हुए भारत अब रूस के S-500 सिस्टम की भी डील करने पर विचार कर सकता है, जो S-400 से भी अधिक एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम है।
आइए समझते हैं कि S-400 और S-500 में क्या अंतर है और S-500 को क्यों अधिक एडवांस माना जाता है।
- S-400 सिस्टम किसी देश के एयरस्पेस को इलाकों और सेक्टरों में सुरक्षित रखते हैं।
- यह भारत के मौजूदा एयर डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ इंटीग्रेट करने में अच्छा साबित हुआ है, जिसमें देश में बनी आकाश मिसाइलें, इजराइल की MRSAM और स्पाइडर सिस्टम शामिल हैं।
- S-400s 400 किलोमीटर की रेंज और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक के टारगेट पर निशाना लगा सकते हैं।
- यह एयरक्राफ्ट, ड्रोन या क्रूज मिसाइलों को रोक सकता है।
- यह टैक्टिकल और ऑपरेशनल थ्रेट कैटेगरी में मददगार है, जिससे यह थिएटर एयर कमांड डिफेंस बन जाता है।
- S-400 सिस्टम इलाके में एयर एडवांटेज दिलाने में सक्षम है।
- अगर S-500 डील पक्की हो जाती है, तो यह रूस के साथ भारत की अब तक की सबसे बड़ी सिंगल हथियार डील हो सकती है।
- S-500 सिस्टम पूरे देश में शहरों, स्ट्रेटेजिक इंफ्रास्ट्रक्चर और कमांड नोड्स की सुरक्षा कर सकते हैं।
- यह 500-600 km तक की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है और इसकी ऊंचाई 180-200 km है।
- बैलिस्टिक मिसाइलों या हाइपरसोनिक हथियारों को इंटरसेप्ट कर सकता है।
- यह नेशनल बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी इंटरसेप्ट और न्यूट्रलाइज़ कर सकता है और टैक्टिकल और स्ट्रेटेजिक थ्रेट कैटेगरी में उपयोगी है।