केंद्र ने पाकिस्तान, दुनिया और अपनी जनता को साफ कर दिया है कि भारत संघर्ष के लिए तैयार है। मॉक ड्रिल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), वायुसेना और नौसेना प्रमुखों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैसे विशेषज्ञों के बीच कई दौर की बैठकें यही संदेश देती हैं। युद्ध महंगे होते हैं और कई लोग यह सवाल पूछते हैं - क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ किसी युद्ध या सैन्य कार्रवाई का खर्च वहन कर सकता है? शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, इसका जवाब निश्चित रूप से हां है।
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय बजट पेश होने के बाद डिफेंस आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बजट में रिकॉर्ड 6.81 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए, जो मौजूदा वित्त वर्ष से 9.53 फीसदी ज्यादा है।
तकनीकी रूप से, धनराशि जारी करना अभी शुरू हुआ है। लेकिन अगर यह एक लंबा युद्ध या सैन्य कार्रवाई है, और वह भी साल के आखिर में, तो भारत को वित्तीय स्थिति के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
शीर्ष सरकारी सूत्रों ने News18 को बताया कि राजकोषीय घाटा कम है और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.4% पर है। Covid-19 काल में यह 9.2% था। पैसा कोई मुद्दा नहीं है और भारत सरकार के पास पर्याप्त रेवेन्यू उपलब्ध है।
आमतौर पर किसी भी सैन्य कार्रवाई के दौरान सरकार को तत्काल उपकरण और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत पड़ सकती है। इसके लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होगी। इसके लिए पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
इसके उलट, पाकिस्तान पहले से ही अपने रक्षा खर्च में 18% की बढ़ोतरी की बात कर रहा है और भारत की ओर से उठाए गए अनेक कदमों के कारण पैसे की कमी का सामना कर रहा है।
इसके अलावा, भारत ने पहले ही बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) को औपचारिक रूप से लेकिन मौखिक रूप से बता दिया है कि पाकिस्तान को दिया जाने वाला पैसा बंद कर दी जानी चाहिए।
राजस्व विभाग ने मौखिक रूप से FATF को यह बात बता दी है और आर्थिक मामलों के विभाग ने एशियाई विकास बैंक (ADB) और ऐसे दूसरे बैंकों को भी इस बारे में सूचित कर दिया है।
भारत का रुख यह है कि विकास निधि का इस्तेमाल आतंकवाद को फंडिंग करने के लिए किया जा रहा है, और दुनिया को इसमें भागीदार नहीं होना चाहिए।