Tariff War: 90 दिनों में नहीं हो पाएगी अमेरिका से डील? टैरिफ घटाने वाली बातचीत में लगेगा इतना लंबा समय

Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चीन को छोड़ बाकी देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दिया है। टैरिफ वार की मार से बचने के लिए सभी देश अमेरिका के साथ कारोबारी सौदे को लेकर बातचीत कर रहे हैं। भारत भी अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौते के लिए बातचीत कर रहा है लेकिन अब कुछ ऐसा पता चला है जिससे टैरिफ की मार पड़ने की आशंका बढ़ गई है

अपडेटेड Apr 30, 2025 पर 12:48 PM
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Tariff War: अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की पहली किस्त के लिए बातचीत पूरी होने में कम से कम छह महीने का समय लग सकता है।

Tariff War: अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की पहली किस्त के लिए बातचीत पूरी होने में कम से कम छह महीने का समय लग सकता है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। इससे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से देश-विशेष शुल्कों पर लगाए गए 90 दिनों की रोक के भीतर इस अहम समझौते को पूरा करने की उम्मीदों को झटका लग सकता है। दोनों देशों ने इस प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए 'टर्म्स ऑफ रेफरेंस' (ToR) को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन अमेरिका ने अभी तक उन सभी वस्तुओं की सूची साझा नहीं की है जिन पर वह कम टैरिफ चाहता है।

कृषि क्षेत्र पर अटक सकती है बातचीत?

सूत्र के मुताबिक दोनों देशों को अभी सेक्टरवाइज बातचीत भी करनी है। अभी शुरुआती रूपरेखा तैयार हुई है। ऐसे में सूत्र का कहना है कि 90 दिनों की रोक के भीतर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल होगा और कुछ प्वाइंट्स तो ऐसे हैं जिन पर समहति बनाने में छह महीने तक लग सकते हैं। प्रस्तावित द्विपक्षीय कारोबारी समझौते के तहत अमेरिका की अधिकतर मांगों पर भारत समहत है लेकिन टैरिफ कटौती पर अमेरिका की विश लिस्ट में भारतीय एग्रीकल्चर सेक्टर के इर्द-गिर्द केंद्रित है। इसके चलते दोनों देशों के बीच बातचीत थोड़ी मुश्किल हो सकती है।


भारत व्यापार सौदों पर बातचीत करते समय अपने कृषि क्षेत्र के प्रति हमेशा सुरक्षात्मक रहा है। अभी कुछ ही साल पहले वर्ष 2021 में भारत ने किसानों और डेयरी सेक्टर पर नकारात्मक प्रभावों का हवाला देते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ से जुड़े रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) मुक्त व्यापार समझौते से खुद को अलग कर लिया था। सूत्र का कहना है कि अमेरिका ने टैरिफ कटौती पर अपनी पूरी विश लिस्ट का खुलासा अभी तो नहीं किया है लेकिन वे मुख्य रूप से प्रमुख कृषि वस्तुओं पर कम शुल्क चाहते हैं।

कहां तक पहुंची बातचीत?

मनीकंट्रोल ने पहले बताया था कि भारत को अमेरिकी बादाम और पिस्ता जैसे कुछ कृषि उत्पादों पर टैक्स में कटौती की गुंजाइश दिख रही है, और बदले में भारत ऑटोमोबाइल पार्ट्स और जरूरी दवाओं के निर्यात पर टैरिफ घटाने की मांग कर रहा है। भारत की कोशिश निर्यात को अधिक शुल्क से बचाने के लिए रेसिप्रोकल टैक्स पर 90 दिनों की रोक के भीतर ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के लिए बातचीत को समाप्त करने की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 29 अप्रैल को कहा था कि भारत के सात टैरिफ को लेकर बातचीत सही रास्ते पर है और सुझाव दिया कि दोनों देशों के बीच किसी समझौते पर पहुंचने की संभावना है। अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक ने 29 अप्रैल को सीएनबीसी के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि एक देश के साथ समझौता हो गया है जो रेसिप्रोकल टैरिफ को स्थायी रूप से कम कर सकता है। हालांकि उन्होंने देश के नाम का खुलासा नहीं किया था और कहा कि सौदे को अभी भी स्थानीय मंजूरी का इंतजार है। उनकी बातों से संकेत मिल रहा था कि वह भारत का ही जिक्र कर रहे थे। दोनों देशों के बीच हो रही बातचीत एक नए लक्ष्य - मिशन 500-का हिस्सा है यानी कि 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।

अभी क्या है भारत और अमेरिका के बीच की कारोबारी स्थिति

भारत के लिए अमेरिका कितना अहम है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि भारत से सबसे अधिक निर्यात अमेरिका को होता है और आयात के मामले में अमेरिका चौथे नंबर पर है। वहीं वैश्विक स्तर पर बात करें तो पिछले साल 2024 में अमेरिका को सबसे अधिक निर्यात करने वाले देशों में 9100 करोड़ डॉलर के निर्यात के साथ भारत दसवें स्थान पर है। टॉप के तीन स्थानों पर मेक्सिको, चीन और कनाडा हैं।

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Jeevan Deep Vishawakarma

Jeevan Deep Vishawakarma

First Published: Apr 30, 2025 12:48 PM

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