Indian join Russian Army: भारत ने रूस से मांग की है कि वह रूसी सेना में भारतीय नागरिकों को सहायक कर्मचारियों के रूप में भर्ती करना बंद करे। रूसी सेना की तरफ से भारतीयों की ताजा भर्ती की खबरों के बाद भारत ने रूसी सशस्त्र बलों में वर्तमान में सेवारत सभी भारतीयों को भी कार्यमुक्त करने की मांग की है। भारत ने गुरुवार (11 सितंबर) को अपने नागरिकों को जोखिमों और खतरों के मद्देनजर रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों को स्वीकार न करने के लिए भी आगाह किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने हाल में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की खबरें देखी हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मौकों पर इस तरह की कार्रवाई में निहित जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है। भारतीय नागरिकों को तदनुसार आगाह किया है।" जायसवाल इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा, "हमने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के साथ भी इस मामले को उठाया है और अनुरोध किया है कि इसे समाप्त किया जाए और हमारे नागरिकों को कार्यमुक्त किया जाए। हम प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों के संपर्क में भी हैं।"
जायसवाल ने कहा, "हम एक बार फिर सभी भारतीय नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने का पुरजोर आग्रह करते हैं क्योंकि यह खतरों से भरा रास्ता है।" भारत बार-बार रूस से रूसी सैन्य इकाइयों में रसोइए और सहायक जैसे कर्मचारियों के रूप में कार्यरत सभी भारतीयों को कार्यमुक्त करने का अनुरोध करता रहा है।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी रूस यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। ऐसी ताजा खबरें आ रही हैं कि भारतीय पुरुषों को रूसी सेना में शामिल होने का लालच दिया जा रहा है और उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए जबरन भेजा जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने युवाओं को इससे बचने की सलाह दी है।
यह एडवाइजरी 'द हिंदू' में प्रकाशित एक न्यूज रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें खुलासा हुआ था कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में फंसे दो भारतीय पुरुषों ने दावा किया था कि उन्हें निर्माण कार्यों का वादा करके रूस ले जाया गया। लेकिन उन्हें युद्ध में भेज दिया गया।
सेलीडोव शहर से फोन पर बात करते हुए इन पुरुषों ने बताया कि कम से कम 13 और भारतीय ऐसी ही परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि वे सभी पिछले छह महीनों में छात्र वीजा पर रूस गए थे। एजेंट ने कथित तौर पर उन्हें निर्माण क्षेत्र में काम दिलाने का वादा किया था, लेकिन उन्हें सेना में भेज दिया।
यूक्रेन के साथ रूस के चल रहे युद्ध के दौरान कम से कम नौ भारतीयों की मौत के बाद यह नई दिल्ली के लिए एक प्रमुख मुद्दा बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दो अलग-अलग बैठकों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष व्यक्तिगत रूप से यह मामला उठाया था।