अब दुश्मनों की खैर नहीं! भारतीय सेना को मिला खतरनाक ‘फ्लाइंग टैंक’...अमेरिका से आया आखिरी बैच

Apache Attack Helicopters: अपाचे हेलीकॉप्टरों का पहला बैच करीब 15 महीने की देरी के बाद जुलाई में भारत पहुंचा था। ये अटैक हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की हमला करने वाली हवाई ताकत का अहम हिस्सा हैं और इन्हें पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया है। पहले ही जानकारी दी गई थी कि आखिरी बैच के भारत पहुंचने के बाद इन हेलीकॉप्टरों को यहां असेंबल किया जाएगा और पूरी जांच के बाद ही इन्हें सेवा में शामिल किया जाएगा

अपडेटेड Dec 16, 2025 पर 6:47 PM
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Apache for Indian Army: भारत के दुश्मनों की नींद अब और भी उड़ने वाली हैं।

भारत के दुश्मनों की नींद अब और भी उड़ने वाली हैं। मंगलवार को भारतीय सेना को एक खतरनाक लड़ाकू हथियार मिला है। बता दें कि इंडियन आर्मी को मंगलवार को अमेरिका से AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों का आखिरी बैच मिल गया। इसके साथ ही राजस्थान के जोधपुर में स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के लिए कुल छह हेलीकॉप्टरों का बेड़ा पूरा हो गया हैये हेलीकॉप्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचे, जिससे सेना की ताकत और भी मजबूत हुई है।

अपाचे हेलीकॉप्टरों का पहला बैच करीब 15 महीने की देरी के बाद जुलाई में भारत पहुंचा था। ये अटैक हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की हमला करने वाली हवाई ताकत का अहम हिस्सा हैं और इन्हें पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया है। पहले ही जानकारी दी गई थी कि आखिरी बैच के भारत पहुंचने के बाद इन हेलीकॉप्टरों को यहां असेंबल किया जाएगा और पूरी जांच के बाद ही इन्हें सेवा में शामिल किया जाएगा।

कहा जाता है ‘फ्लाइंग टैंक’ 

AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर अपनी जबरदस्त मारक क्षमता और युद्ध में मजबूती के कारण अक्सर ‘फ्लाइंग टैंक’ कहा जाता है। इसे दुनिया के सबसे आधुनिक मल्टीरोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों में गिना जाता है। एरिज़ोना के मेसा शहर में बना यह हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना के अटैक बेड़े का अहम हिस्सा है और भारत समेत कई मित्र देशों की सेनाएं भी इसका इस्तेमाल करती हैं।

यह अपाचे हेलीकॉप्टर हेलफायर मिसाइल, 70 मिमी रॉकेट और 30 मिमी चेन गन से लैस होता है, जिससे यह दुश्मन के टैंकों, बंकरों और एयर डिफेंस सिस्टम को आसानी से निशाना बना सकता है। इसमें लगे आधुनिक सेंसर, रात में लड़ने की क्षमता और नेटवर्क से जुड़े युद्ध सिस्टम इसे ज्यादा खतरे वाले इलाकों और पहाड़ी युद्ध क्षेत्रों में बेहद प्रभावी बनाते हैं।


अपाचे स्क्वाड्रन तैयार 

आर्मी एविएशन कोर ने मार्च 2024 में जोधपुर में अपना पहला अपाचे स्क्वाड्रन तैयार किया था, लेकिन इसके बाद करीब 15 महीने तक हेलीकॉप्टरों का इंतज़ार करना पड़ा। अमेरिका से AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों की सप्लाई तय समय पर नहीं हो पाई और कई बार डेडलाइन आगे बढ़ी। साल 2020 में अमेरिका के साथ करीब 600 मिलियन डॉलर की डील हुई थी, जिसके तहत सेना को मई-जून 2024 तक सभी छह अपाचे मिलने की उम्मीद थी। लेकिन सप्लाई चेन में आई दिक्कतों के कारण डिलीवरी की समयसीमा बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दी गई।

शुरुआती योजना के मुताबिक छह अपाचे हेलीकॉप्टरों को तीन-तीन के दो बैच में भारत लाया जाना था। पहला बैच मई से जून 2024 के बीच पहुंचने वाला था। हालांकि रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अमेरिका में आ रही कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण इन हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी हुई।

AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर में 26 तरह की आधुनिक तकनीकें शामिल हैं, जैसे बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी, जॉइंट टैक्टिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम, ज्यादा ताकतवर इंजन, मजबूत रोटर ब्लेड और ड्रोन को रियल टाइम में कंट्रोल करने की क्षमता। दुनिया भर में अब तक 400 से ज्यादा AH-64E हेलीकॉप्टर डिलीवर किए जा चुके हैं और अमेरिकी सेना के इस बेड़े ने 45 लाख से ज्यादा फ्लाइट घंटे पूरे कर लिए हैं। वहीं भारतीय वायुसेना भी 2015 में हुए अलग सौदे के तहत पहले ही 22 अपाचे हेलीकॉप्टर अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है।

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