Kirana Hills Pakistan: भारतीय वायु सेना ने अपने हालिया जवाबी हमलों में पाकिस्तान के किराना हिल्स पर हमले से इनकार किया है। दरअसल ये दावा किया जा रहा था कि, भारत ने पाकिस्तान में कथित परमाणु हथियार भंडारण स्थल को निशाना बनाने का प्रयास किया। हालांकि भारतीय वायु सेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि, 'हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया, चाहे जो कुछ भी वहां है।'
हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बीच किराना हिल्स की एक बार फिर से चर्चा हुई। पाकिस्तान ने ये दावा किया कि, भारत ने किराना हिल्स को निशाना बनाया। बता दें कि किराना हिल्स पाकिस्तान की सबसे गुप्त सैन्य स्टेशनों में एक है। इसकी तुलना अक्सर अमेरिका के कुख्यात 'एरिया 51' से की जाती है, जहां अमेरिका कई तरह के सीक्रेट परीक्षण करता है। सालों से ये चर्चा रही है कि पाकिस्तान किराना हिल्स में परमाणु हथियार परीक्षण करता है। लंबे समय से यह संदिग्ध स्थल पाकिस्तानी वायु सेना के नियंत्रण में एक कड़ी सुरक्षा वाला केंद्र बना हुआ है।
आखिर है क्या किराना हिल्स?
किराना हिल्स पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सरगोधा शहर के पास स्थित है। इसके भूरे रंग के के कारण इसे ब्लैक माउंटेन कहा जाता है। यह लगभग 12 किलोमीटर तक फैली निचली चट्टानी चट्टानों की एक श्रृंखला है। यह इलाका ऊबड़-खाबड़ और अलग-थलग है। यही खासियत इसे गुप्त सैन्य परीक्षण और बुनियादी ढांचे के लिए आदर्श बनाती है। 1980 के दशक की शुरुआत में, इस क्षेत्र को सैन्य उपयोग के लिए विकसित किया गया था, जिसमें बंकर और भूमिगत सुविधाओं की स्थापना शामिल थी।
पाकिस्तान वायु सेना ने इसे मुशफ एयरबेस परिसर के तौर पर एस्टेब्लिश किया हुआ है। यहां आम लोगों की पहुंच सीमित है और इसे अतिरिक्त सुरक्षा मिली हुई है। कहा जाता है कि किराना हिल्स में 10 से अधिक सुरंगें हैं, जिनके बारे में रिपोर्टों का दावा है कि उनका उपयोग पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडारण के लिए किया जाता है। कुछ अन्कन्फर्म्ड रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि चीन द्वारा आपूर्ति की गई एम-11 मिसाइलों को भी वही रखा गया गया था। बता दें कि 1965 के युद्ध के दौरान भारत का टारगेट PAF बेस मुशफ, सरगोधा था। उस हमले में 10 पाकिस्तानी विमान तबाह हुए थे।
न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव जो एक वैश्विक थिंक टैंक है वह जो दुनिया भर में परमाणु कार्यक्रमों का दस्तावेजीकरण करता है। उसके अनुसार, 1983 से 1990 के बीच, किराना हिल्स का उपयोग कथित तौर पर 24 'शीत परीक्षण' या उप-महत्वपूर्ण परमाणु परीक्षणों के लिए किया गया था। यह परीक्षण डॉ. अब्दुल कादिर खान की देखरेख में पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग (PAEC) द्वारा किए गए थे। उन परीक्षणों को 'किराना-1' नाम दिया गया था। ये परीक्षण पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में बड़ा योगदान रखते है। बता दें कि सबक्रिटिकल परीक्षण वास्तविक रूप में विस्फोट नहीं होते हैं, बल्कि परमाणु विस्फोट की स्थितियों का परीक्षण करने के लिए पारंपरिक विस्फोटकों का उपयोग करते हैं। रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, इन प्रयोगों की सफलता की ही बदौलत मई 1998 में पाकिस्तान ने चगाई हिल्स में अपना पहला सफल परमाणु परीक्षण किया था।
किराना हिल्स की दूरस्थ स्थिति ने उसे संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जैसे देशों की सेटेलाइट निगरानी और खुफिया एजेंसियों से बचना आसान बनाया है।
क्या है इसकी स्ट्रेटजिक प्रासंगिकता?
1998 में परमाणु परीक्षण के बाद चगाई हिल्स वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हो गए। हालांकि आज भी किराना हिल्स पाकिस्तान की परमाणु यात्रा में एक आधारभूत अध्याय बने हुए हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परमाणु भंडारण केंद्र और बुनियादी ढांचा है जो पाकिस्तान की दूसरी स्ट्राइक क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है। परमाणु सुविधा सम्पन्न देशों के लिए दूसरी साइट होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि, इस साइट के इर्द-गिर्द अत्यधिक गोपनीयता की वजह से इसकी वर्तमान क्षमताओं का अंदाजा लगा पान संभव नहीं है। वैसे रक्षा विशेषज्ञ अक्सर यहां की कार्यशैली और गोपनीयता की तुलना नेवादा में अमेरिकी वायु सेना के 'एरिया 51' से करते हैं।