इस साल जुलाई में देश का व्यापार घाटा (Trade Deficit) बढ़कर 27.35 अरब डॉलर हो गया। यह 8 महीने का हाई है। इससे पहले इतना हाई लेवल नवंबर, 2024 में देखा गया था। जून महीने में व्यापार घाटा 18.78 अरब डॉलर रहा था। एक साल पहले यानि कि जुलाई 2024 में व्यापार घाटा 23.5 अरब डॉलर था। व्यापार घाटा निर्यात (Export) और आयात (Import) के बीच का अंतर होता है। अगर आयात, निर्यात से ज्यादा होता है तो ट्रेड डेफिसिट की स्थिति बनती है। वहीं निर्यात के आयात से ज्यादा होने पर ट्रेड सरप्लस की स्थिति बनती है।
14 अगस्त को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश का निर्यात जुलाई 2025 में सालाना आधार पर 7.29 प्रतिशत बढ़कर 37.24 अरब डॉलर हो गया। निर्यात ने 2 महीने की लगातार गिरावट के बाद रफ्तार पकड़ी है। पिछले साल जुलाई महीने में निर्यात 34.71 अरब डॉलर रहा था। इस साल जुलाई महीने में आयात में भी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। आयात 8.6 प्रतिशत बढ़कर 64.59 अरब डॉलर हो गया।
कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल का कहना है, "वैश्विक स्तर पर पॉलिसीज को लेकर अनिश्चित माहौल के बावजूद, जुलाई और वित्त वर्ष 2026 में अब तक भारत के सर्विसेज और मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में अब तक भारी बढ़ोतरी हुई है। यह ग्लोबल एक्सपोर्ट में हुई वृद्धि से कहीं अधिक है।" बर्थवाल ने बताया कि जुलाई में माल निर्यात की अगुआई इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, दवा और फार्मा, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वैलरी ने की।
अप्रैल-जुलाई में कितना निर्यात और आयात
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले 4 महीनों अप्रैल-जुलाई 2025 में निर्यात कुल 3.07 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 149.2 अरब डॉलर रहा। इस दौरान आयात 5.36 प्रतिशत बढ़कर 244.01 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस 4 महीने की अवधि में व्यापार घाटा 94.81 अरब डॉलर दर्ज किया गया।