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ऑपरेशन सिंदूर के बाद BrahMos बनी ग्लोबल सेंसेशन, भारत करने जा रहा 450 मिलियन डॉलर की डील

ऑपरेशन सिंदूर समेत हाल के सैन्य अभियानों में ब्रह्मोस मिसाइल की शानदार परफॉर्मेंस के बाद कई देशों ने इस सिस्टम में गहरी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। भारत अभी अपने डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है और इसी के तहत वह साझेदार देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें DRDO विदेशों में भारत के स्वदेशी प्लेटफॉर्म को प्रमोट करने में अहम भूमिका निभा रहा है

Rajat Kumarअपडेटेड Nov 25, 2025 पर 10:41 PM
ऑपरेशन सिंदूर के बाद BrahMos बनी ग्लोबल सेंसेशन, भारत करने जा रहा 450 मिलियन डॉलर की डील
BrahMos Missiles : ऑपरेशन सिंदूर के बाद BrahMos बनी ग्लोबल सेंसेशन

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर तबाही मचाने लाली ब्रह्मोस मिसाइल ग्लोबल सेंसेशन बन गई है। दुनिया के कई देश भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है। वहीं भारत करीब 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक बड़ी एक्सपोर्ट डील पाने के बहुत करीब है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत के कुछ दोस्त देशों के साथ यह डील अब लगभग अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही साइन किया जा सकता है जानकारी के मुताबिक डील से जुड़ी लगभग सारी औपचारिकताएपूरी हो चुकी हैं। अगर यह साइन हो जाती है, तो यह भारत के सबसे बड़े डिंफेंस एक्सपोर्ट में से एक होगी।

ब्रह्मोस में दुनियाभर की बढ़ती दिलचस्पी

ऑपरेशन सिंदूर समेत हाल के सैन्य अभियानों में ब्रह्मोस मिसाइल की शानदार परफॉर्मेंस के बाद कई देशों ने इस सिस्टम में गहरी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। भारत अभी अपने डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है और इसी के तहत वह साझेदार देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें DRDO विदेशों में भारत के स्वदेशी प्लेटफॉर्म को प्रमोट करने में अहम भूमिका निभा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, भारत अब मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी नए बाज़ार खोज रहा है, जहां अलग-अलग तरह के मिलिट्री हार्डवेयर की बड़ी मांग है।

इंडोनेशिया डील को अभी रूस की मंजूरी का इंतजार

ब्रह्मोस मिसाइल की एक बड़ी डील भारत और इंडोनेशिया के बीच लगभग तैयार है। डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली और जकार्ता के बीच सारी बातचीत पूरी हो चुकी है, और कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए बिल्कुल तैयार है। अब सिर्फ रूस की अंतिम मंजूरी का इंतजार है, क्योंकि ब्रह्मोस भारतरूस का संयुक्त रूप से विकसित हथियार सिस्टम है, इसलिए यह अप्रूवल जरूरी है। एक बार रूस की मंजूरी मिल गई तो यह डील भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे भारत की छवि एक ऐसे देश के रूप में और मजबूत होगी जो दुनिया को एडवांस्ड और हाई-प्रिसिजन हथियार सप्लाई कर सकता है।

भारत-रूस की हाई-वैल्यू मिसाइल

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