
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर तबाही मचाने लाली ब्रह्मोस मिसाइल ग्लोबल सेंसेशन बन गई है। दुनिया के कई देश भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है। वहीं भारत करीब 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक बड़ी एक्सपोर्ट डील पाने के बहुत करीब है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत के कुछ दोस्त देशों के साथ यह डील अब लगभग अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही साइन किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक डील से जुड़ी लगभग सारी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। अगर यह साइन हो जाती है, तो यह भारत के सबसे बड़े डिंफेंस एक्सपोर्ट में से एक होगी।
ब्रह्मोस में दुनियाभर की बढ़ती दिलचस्पी
ऑपरेशन सिंदूर समेत हाल के सैन्य अभियानों में ब्रह्मोस मिसाइल की शानदार परफॉर्मेंस के बाद कई देशों ने इस सिस्टम में गहरी रुचि दिखानी शुरू कर दी है। भारत अभी अपने डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है और इसी के तहत वह साझेदार देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसमें DRDO विदेशों में भारत के स्वदेशी प्लेटफॉर्म को प्रमोट करने में अहम भूमिका निभा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, भारत अब मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी नए बाज़ार खोज रहा है, जहां अलग-अलग तरह के मिलिट्री हार्डवेयर की बड़ी मांग है।
इंडोनेशिया डील को अभी रूस की मंजूरी का इंतजार
ब्रह्मोस मिसाइल की एक बड़ी डील भारत और इंडोनेशिया के बीच लगभग तैयार है। डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली और जकार्ता के बीच सारी बातचीत पूरी हो चुकी है, और कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए बिल्कुल तैयार है। अब सिर्फ रूस की अंतिम मंजूरी का इंतजार है, क्योंकि ब्रह्मोस भारत–रूस का संयुक्त रूप से विकसित हथियार सिस्टम है, इसलिए यह अप्रूवल जरूरी है। एक बार रूस की मंजूरी मिल गई तो यह डील भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इससे भारत की छवि एक ऐसे देश के रूप में और मजबूत होगी जो दुनिया को एडवांस्ड और हाई-प्रिसिजन हथियार सप्लाई कर सकता है।
भारत-रूस की हाई-वैल्यू मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल भारत के DRDO और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर बनाई है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक मानी जाती है। इस मिसाइल की सटीक मार, हर तरह के मौसम में काम करने की क्षमता और जमीन, समुद्र और हवा—तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च होने की सुविधा इसे और भी खास बनाती है। इसी वजह से बदलते क्षेत्रीय हालात में कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देश इस सिस्टम में तेजी से दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अगर बाकी मंजूरियां मिल जाती हैं, तो ब्रह्मोस की यह बढ़ती एक्सपोर्ट लाइन भारत की सबसे बड़ी डिफेंस एक्सपोर्ट उपलब्धियों में शामिल हो सकती है।
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