Credit Cards

Justice Yashwant Varma Cash Row: कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की बढ़ सकती मुश्किलें, महाभियोग लाने की तैयारी कर रही सरकार

Justice Yashwant Varma Cash Row: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर अभियोग लगाया था। इसके बाद जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह पत्र भेजा। हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया। सूत्रों ने बताया कि पूर्व CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया

अपडेटेड May 28, 2025 पर 2:07 PM
Story continues below Advertisement
Justice Yashwant Varma Cash Row: अगर जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प होगा

Justice Yashwant Varma Cash Row: केंद्र सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है। जस्टिस वर्मा पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकद राशि मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त जांच समिति ने अभियोग लगाया है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगर जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प होगा। संसद का मानसून सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होने की संभावना है।

जस्टिस वर्मा को उनके आवास पर भारी मात्रा में जली हुई कैश राशि मिलने की अप्रिय घटना के बाद दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेज दिया गया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने जस्टिस वर्मा पर अभियोग लगाया था। इसके बाद जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को यह पत्र भेजा। हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया। सूत्रों ने बताया कि पूर्व CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।


एक आधिकारिक सूत्र ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिक प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया है। उन्होंने अपने आउटहाउस में आग लगने के बाद मिली नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेगी। इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा को विभिन्न राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा है। एक सूत्र ने कहा, "इस मामले पर जल्द अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इस तरह के स्पष्ट घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है।"

क्या है महाभियोग की प्रक्रिया?

संसद के दोनों सदनों में से किसी एक में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने होते हैं। जबकि लोकसभा में 100 सदस्यों को इसका समर्थन करना होता है। प्रस्ताव दो-तिहाई मतों से पारित होने पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज और एक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को नामित करने के लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखते हैं।

ये भी पढ़ें- इंतजार खत्म! आज आने वाला है राजस्थान बोर्ड 10वीं का रिजल्ट, rajresults.nic.in से डायरेक्ट डाउनलोड करें मार्कशीट

सरकार प्रस्ताव में उल्लिखित आरोपों की जांच करने वाली समिति में अपनी ओर से एक प्रतिष्ठित न्यायविद को नामित करती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन मिले। सरकार प्रस्ताव के मसौदे पर सभी दलों से परामर्श करेगी। इसमें तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्ष शामिल होंगे। समिति ने जज के आवास से आधी जली हुई नकदी की गड्डियां मिलने की जांच की थी। जस्टिस वर्मा घटना के समय दिल्ली हाई कोर्ट में थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।