Kanwar Yatra: हॉकी, बेसबॉल बैट समेत इन चीजों पर रहेगी रोक, कांवड़ यात्रा में डीजे को लेकर आई ये गाइडलाइन

Kanwar Yatra 2025: अनुमान है कि इस बार करीब 5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचेंगे, जहां से वे गंगाजल लेकर अपने-अपने शहरों के शिव मंदिरों में चढ़ाएंगे

अपडेटेड Jun 27, 2025 पर 8:27 PM
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इस बार 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होने जा रही है।

Kanwar Yatra 2025 : देश के कई हिस्सों में हर साल सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा होती है। वहीं इस बार 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। कांवड़ यात्रा के बहुत से ऐसे नियम हैं जिनका पालन करना बेहद जरुरी होता है। कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ काम करने पर मनाही होती है। वहीं कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए छह राज्यों के शीर्ष पुलिस अधिकारी शुक्रवार को हरिद्वार में एक बैठक के लिए जुटे। इस बैठक का मकसद तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और यात्रा से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आपसी समन्वय बनाना था।

5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

अनुमान है कि इस बार करीब 5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचेंगे, जहां से वे गंगाजल लेकर अपने-अपने शहरों के शिव मंदिरों में चढ़ाएंगे। श्रद्धालु पारंपरिक रूप से कांवड़ नाम की बांस से बनी संरचना में सजावटी बर्तनों में गंगाजल भरकर पैदल ही यात्रा करते हैं। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ ने कहा कि यात्रा के दौरान असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।


 हॉकी, बेसबॉल बैट समेत इन चीजों पर रहेगी रोक

कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है। अब कांवड़ यात्रियों को हॉकी स्टिक, बेसबॉल बैट, लोहे की छड़, भाले जैसी वस्तुएं ले जाने की अनुमति नहीं होगी। यह निर्णय सभी राज्यों के पुलिस अधिकारियों की संयुक्त बैठक में लिया गया। साथ ही, यात्रा के दौरान राज्यों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने के लिए भी एक साझा व्यवस्था बनाई गई है, ताकि किसी भी संभावित खतरे या अव्यवस्था को समय रहते रोका जा सके।

डीजे पर होगी सख्त निगरानी

हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भागीदारी की वजह से एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों में जनजीवन काफी प्रभावित होता है। एक और बड़ी चुनौती है सड़कों पर चलने वाले ट्रकों पर लगे तेज आवाज वाले साउंड सिस्टम, जिन्हें आमतौर पर "डीजे" कहा जाता है। ये मोबाइल डीजे शिव भजन से लेकर बॉलीवुड गानों तक जोरदार म्यूजिक बजाते हैं और एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण और कई बार सार्वजनिक असुविधा भी होती है। प्रशासन इस बार इन सभी मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए सख्त निगरानी और नियमों को लागू करने की तैयारी में है।

पुलिस  ने दी ये चेतावनी

उत्तराखंड पुलिस ने साफ तौर पर कहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान राज्य की सीमा में तेज और कानफाड़ू संगीत किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गढ़वाल रेंज के महानिरीक्षक राजीव स्वरूप ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में सक्रिय लगभग 50 प्रमुख डीजे ग्रुप्स को पहले ही चेतावनी दी जा चुकी है। उन्हें साफ कहा गया है कि वे ध्वनि नियंत्रण नियमों का पालन करें। उत्तराखंड के कई स्थानीय निवासियों ने लंबे समय से इस तेज शोर के खिलाफ शिकायतें की हैं। लोगों का कहना है कि अत्यधिक ध्वनि के कारण कई बार खिड़कियों के शीशे टूट गए हैं और घरों को नुकसान भी पहुंचा है। इस बार प्रशासन ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह सतर्क है और नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।

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First Published: Jun 27, 2025 8:27 PM

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