Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष को लेकर जारी अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार (25 नवंबर) को कहा कि पार्टी आलाकमान को अंततः इस भ्रम को समाप्त करना चाहिए। सिद्धारमैया ने दोहराया कि वह मुख्यमंत्री पद पर बदलाव संबंधी मुद्दे पर आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विधायक पार्टी नेतृत्व से मिलने और अपनी राय शेयर करने के लिए स्वतंत्र हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य की लीडरशिप पर आखिरी फैसला पूरी तरह से सेंट्रल लीडरशिप का है।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं के बीच सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। 2023 में सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से जुड़े एक कथित सत्ता-परिवर्तन को लेकर समझौते का हवाला दिया जा रहा है। कांग्रेस की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा सफर तय कर चुकी है।
शिवकुमार का समर्थन करने वाले विधायकों के एक ग्रुप के दिल्ली जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सिद्धारमैया ने कहा, "उन्हें (विधायकों को) जाने दीजिए, विधायकों को स्वतंत्रता है। देखते हैं वे क्या राय देते हैं। अंततः, फैसला आलाकमान को करना है। हम आलाकमान की बात मानेंगे।"
पीटीआई के मुताबिक विधायकों के एक वर्ग द्वारा आलाकमान से मामले पर विराम लगाने की अपील के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "वे (विधायक) जो भी कहना चाहते हैं, उन्हें आलाकमान से कहने दीजिए। अंततः इस भ्रम को समाप्त करने के लिए आलाकमान को ही निर्णय लेना है।"
दिल्ली पहुंचे कांग्रेस विधायक
पार्टी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि शिवकुमार का समर्थन करने वाले छह कांग्रेस विधायकों का एक समूह 23 नवंबर को शीर्ष नेताओं से मिलने के लिए नई दिल्ली गया था। उन्होंने बताया कि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की पैरवी के लिए जल्द ही कुछ और विधायकों के दिल्ली जाने की संभावना है। पिछले हफ्ते शिवकुमार का समर्थन करने वाले लगभग 10 विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी।
मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में पूछे गए एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, "यह तब होगा जब आलाकमान कहेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल उनकी कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी से मिलने की कोई योजना नहीं है। खड़गे पिछले कुछ दिनों से बेंगलुरु में थे लेकिन शिवकुमार उनसे नहीं मिले। हालांकि मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के लिए खड़गे के रवाना होने के समय वह उनके साथ थे।
सीएम का मंत्रिमंडल में फेरबदल पर जोर
पार्टी में नेतृत्व विवाद के बीच, सिद्धारमैया ने शनिवार को खड़गे के बेंगलुरु स्थित निवास पर उनके साथ एक घंटे से ज्यादा समय तक बैठक की। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल पर जोर दे रहे हैं। जबकि शिवकुमार चाहते हैं कि पार्टी पहले नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला करे। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, अगर कांग्रेस आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल को मंजूरी देता है, तो यह संकेत होगा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इससे शिवकुमार के इस पद पर आसीन होने की संभावना खत्म हो जाएगी।