कर्नाटक सरकार के अनुबंध पर रसोइये को RSS के कार्यक्रम में शामिल होने के कारण निलंबित कर दिया गया। यह निलंबन कर्नाटक कैबिनेट की तरफ से RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नियम बनाने के कुछ दिनों बाद आया है। बसवकल्याण के प्री-मैट्रिक बॉयज हॉस्टल में असिस्टेंट कुक का कम करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी प्रमोद ने RSS पथ संचलन कार्यक्रम में भाग लिया। कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
बसवकल्याण में RSS पथ संचलन कार्यक्रम में भाग लेने के चलते राज्य सरकार ने एक अनुबंध आधारित रसोइए प्रमोद को निलंबित कर दिया है। प्रमोद पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अंतर्गत चल रहे प्री-मैट्रिक बॉयज़ हॉस्टल में सहायक रसोइए के पद पर कार्यरत था। उसे सरकारी सेवा नियमों के उल्लंघन के आरोप में हटाया गया है, क्योंकि नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी किसी निजी संगठन से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले सकते।
फोटो और अन्य कर्मचारियों की जांच
कार्यक्रम की तस्वीरों में 20 से अधिक सरकारी कर्मचारी, जिनमें दो स्कूलों के प्रधानाचार्य और एक कॉलेज के प्रिंसिपल शामिल हैं, भाग लेते नजर आए। इन सभी की जांच के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले रायचूर जिले के पंचायत विकास अधिकारी प्रवीण कुमार को भी इसी तरह की वजह से निलंबित किया गया था, जब वे शताब्दी समारोह में RSS की वर्दी में शामिल हुए थे।
सरकार और मुख्यमंत्री की सफाई
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने RSS पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। उनका कहना है कि हाल ही में जारी आदेश केवल 2013 में बीजेपी सरकार के दौरान लागू नियम का दोहराव है, जिसमें कहा गया था कि किसी भी संगठन को स्कूल और कॉलेज परिसर में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अनुमति लेनी होगी। इस आदेश में RSS का नाम कहीं उल्लेखित नहीं है।
इस कार्रवाई को लेकर बीजेपी ने कड़ी आलोचना की है। पार्टी नेताओं ने इसे “गैरकानूनी निलंबन” और “भेदभावपूर्ण कार्रवाई” बताया है। बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या ने कहा कि उच्च न्यायालयों के कई फैसलों में सरकारी कर्मियों को RSS कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति दी गई है, इसलिए यह निलंबन टिक नहीं पाएगा।