Karnataka government School Enrollment: कर्नाटक सरकार की नई पहल, स्कूलों में नामांकन बढ़ाने पर विदेश भेजे जाएंगे टीचर्स

Karnataka government School Enrollment: कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में नामांकन को बढ़ावा देने के लिए, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक नया प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत, प्रवेश में उल्लेखनीय प्रगति करने वाले स्कूल प्रमुखों और विभागीय अधिकारियों को विदेश घूमने का मौका दिया जाएगा।

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 11:31 AM
Story continues below Advertisement
कर्नाटक सरकार की नई पहल, स्कूलों में नामांकन बढ़ाने पर विदेश भेजे जाएंगे टीचर्स

Karnataka government School Enrollment: कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में नामांकन को बढ़ावा देने के लिए, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक नया प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत, प्रवेश में उल्लेखनीय प्रगति करने वाले स्कूल प्रमुखों और विभागीय अधिकारियों को विदेश घूमने का मौका दिया जाएगा।

इस पहल के तहत, स्कूलों और अधिकारियों को सभी सरकारी स्कूलों और पीयू कॉलेजों में 2025-26 की तुलना में 2026-27 में नामांकन में कम से कम 15% की वृद्धि करने के लिए योजना बनानी होगी और उसे लागू करना होगा। हालांकि, कर्नाटक पब्लिक स्कूलों और पीएम श्री स्कूलों के लिए और भी ज्यादा लक्ष्य रखे गए हैं, जिन्हें पिछले वर्ष की तुलना में 25% की वृद्धि हासिल करने के लिए कहा गया है।

प्रोत्साहन योजना के तहत, इन मानदंडों को पूरा करने वाले पांच डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन), पांच फील्ड एजुकेशन ऑफिसर, पांच प्राइमरी स्कूल के हेड टीचर, पांच हाई स्कूल के हेड टीचर और पांच पीयू कॉलेज प्रिंसिपल को विदेशी दौरे पर भेजा जाएगा ताकि वे दूसरे देशों की बेहतरीन शिक्षा प्रणाली को समझ सकें। हालांकि, विभाग ने अभी तक यह नहीं बताया है कि उन्हें किन देशों में भेजा जाएगा।


जून 2026 तक चलेगा नामांकन जागरूकता अभियान

यह नामांकन जागरूकता अभियान 14 नवंबर से शुरू हुआ और जून 2026 तक चलेगा, जिसमें अधिकारियों और स्कूल प्रमुखों के लिए एक विस्तृत गतिविधि योजना तैयार की गई है। अप्रैल 2026 में, स्कूलों को एक नामांकन रैली आयोजित करनी होगी, जिसमें शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए और सरकारी संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देते हुए पंपलेट  बांटने होंगे।

ब्रॉशर में फ्री किताबें और यूनिफॉर्म, मिड-डे मील, अतिरिक्त पोषण, स्कॉलरशिप, जूते और मोजे वितरण, ट्रांसपोर्ट सुविधाएं और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए घर-आधारित शिक्षा जैसी योजनाओं पर प्रकाश डाला जाना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला ले सकें।

स्कूल अधिकारियों को करना होगा सर्वे

फरवरी और मार्च 2026 के बीच, अधिकारियों को प्रवेश के योग्य बच्चों, स्कूल छोड़ चुके बच्चों और लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों की पहचान के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण करना होगा। पहचाने गए बच्चों को आस-पास के स्कूलों या कॉलेजों से जोड़ा जाएगा। सर्वे में कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरों की सूची भी तैयार की जाएगी। स्कूल प्रमुखों को उन अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करना होगा जिनके बच्चे मजदूरी कर रहे हैं और उन्हें स्कूल वापस आने के लिए प्रेरित करना होगा।

कमजोर समूहों - जिनमें कूड़ा बीनने वाले, बाल मजदूर, बीमार बच्चे, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे, अनाथ और प्रवासी बच्चे शामिल हैं, को उनके सीखने के स्तर के आधार पर नेताजी आवासीय विद्यालयों, ट्रांजिट होम या सरकारी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा।

स्कूलों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे कहानियों, गीतों, नाटकों, यक्षगान, लोक प्रदर्शनों और नुक्कड़ नाटकों जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें। इसके अलावा, ज्यादा पहुंच के लिए रेडियो, टीवी, समाचार पत्रों में विज्ञापन, डॉक्यूमेंट्री फिल्में, ऑडियो संदेश और पोस्टर का उपयोग किया जा सकता है। प्रत्येक जिले के सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए एक एजुकेशन एंबेसडर भी नियुक्त किया जाएगा।

स्कूल विकास निगरानी समितियों (और पीयू कॉलेजों के लिए कॉलेज विकास समितियों) को अभियान की समीक्षा के लिए नियमित बैठकें आयोजित करनी होंगी। संविधान दिवस (26 नवंबर) और विश्व विकलांग दिवस (3 दिसंबर) जैसे विशेष अवसरों पर थीम आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बच्चों की शिक्षा को प्रदर्शित करने के लिए चिल्ड्रन लर्निंग फेस्टिवल भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें छात्रों की सीखने की प्रगति को दिखाया जाएगा।

सरकारी स्कूलों में आयोजित होगा मॉक पार्लियामेंट

26 दिसंबर को एक मॉक पार्लियामेंट में सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में हुए विकास पर प्रकाश डाला जाएगा। जनवरी में, SDMC ऐसे कार्यक्रम आयोजित करेगी जिनमें बेहतर सीखने के माहौल और सरकारी स्कूलों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। जिला आयुक्त और जिला पंचायत के सीईओ इस अभियान के तहत प्रमुख जागरूकता पहलों का नेतृत्व करेंगे।

स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त विकास किशोर सुरालकर ने कहा, “जागरूकता अभियान के दौरान स्कूल प्रमुखों और विभागीय अधिकारियों को कई कार्यक्रम पूरे करने होंगे। अगर वे मानदंडों को पूरा करते हैं और नामांकन में अपेक्षित वृद्धि हासिल करते हैं, तो विभाग उन्हें विदेशी दौरे पर ले जाएगा, जहां वे दुनिया के बेहतरीन शिक्षा मॉडल देख सकेंगे। फिलहाल अभी विदेशी देशों के नाम तय नहीं हुए हैं।”

स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि महेश ने कहा, "यह हमारे बड़े प्रोत्साहन कार्यक्रम का एक हिस्सा है। जिन कामों के लिए शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाएगा, उनमें प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करना, स्कूल के माहौल में सुधार, नई शिक्षण विधियों को अपनाना और स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में कमी लाना शामिल है।

उन्होंने आगे बताया, "हम शिक्षकों के लिए प्रोत्साहनों की एक सूची तैयार कर रहे हैं, जिनमें से वे अपनी पसंद का विकल्प चुन सकते हैं—जैसे बिना ट्रांसफर के उसी स्कूल में काम जारी रखना, अपनी पसंद के स्कूल में पोस्टिंग पाना, विदेशी या दूसरे राज्यों के स्टडी टूर, या स्टेट एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग विभाग के साथ काम करने के अवसर आदि। उन्होंने कहा, ये कार्यक्रम समय-समय पर चलाए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: Karnataka Politics: 'हमेशा कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रह सकता'; सीएम बनने की अटकलों के बीच शिवकुमार का बड़ा बयान

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।