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महिलाओं और सनातन धर्म के प्रतीकों के खिलाफ ऑनलाइन कॉन्टेंट पर रोक लगाने के लिए कर्नाटक सरकार लाएगी नया बिल

कर्नाटक मिसइनफॉर्मेशन एंड फेक न्यूज प्रोहिविशन बिल, 2025 के मसौदे के मुताबिक, फर्जी खबर पोस्ट करने का दोषी पाए जाने वाले सोशल मीडिया यूजर्स को सात साल तक की कैद, 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं

Edited By: Sudhanshu Dubeyअपडेटेड Jun 21, 2025 पर 11:58 AM
महिलाओं और सनातन धर्म के प्रतीकों के खिलाफ ऑनलाइन कॉन्टेंट पर रोक लगाने के लिए कर्नाटक सरकार लाएगी नया बिल
इस ड्रॉफ्ट बिल में अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का प्रस्ताव है

कर्नाटक सरकार जल्द ही कर्नाटक मिसइंफॉर्मेशन एंड फेक न्यूज प्रोहिविशन बिल, 2025 पेश कर सकती है। इसका उद्देश्य डिजिटल प्लेटफार्मों पर गलत सूचना के प्रसार को आपराधिक बनाना है और सोशल मीडिया पर महिला-विरोधी, अश्लील या सनातन प्रतीकों के प्रति अपमानजनक सामग्री को प्रतिबंधित करना है। मनीकंट्रोल ने 19 जून को बताया था कि कर्नाटक सरकार दो अहम विधायी प्रस्तावों पर विचार कर रहा है। इनमें कर्नाटक मिसइंफॉर्मेशन एंड फेक न्यूज प्रोहिविशन बिल, 2025 और कर्नाटक हेट स्पीच एंड हेट क्राइम प्रोहिविशन बिल, 2025 शामिल हैं। इनका उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना और अभद्र भाषा पर बढ़ती समस्या से निपटना है।

मसौदा विधेयक के मुताबिकफर्जी खबरें पोस्ट करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी सोशल मीडिया यूजर को सात साल तक की कैद,10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह कानून फर्जी खबरों को मनगढ़ंत सामग्री, गलत उद्धरण या संपादित ऑडियो और वीडियो क्लिप के रूप में परिभाषित करता है जो तथ्यों या संदर्भ को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। इसमें जानबूझकर या लापरवाही से तथ्यों के बारे में गलत बयान देना भी शामिल है। हालांकि इसमें व्यंग्य,पैरोडी,धार्मिक या दार्शनिक राय या कलात्मक अभिव्यक्ति शामिल नहीं है।

बिल के मसौदे में 'सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के लिए रेग्युलेटरी बॉडी के गठन का भी प्रावधान है,जो कानून लागू होने की निगरानी करेगा। इस रेग्युलेटरी बॉडी की अध्यक्षता कन्नड़ और संस्कृति मंत्री करेंगे और इसमें राज्य विधानमंडल के सदस्य, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधि और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। इसे फर्जी खबरों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और अपमानजनक,अश्लील, नारी विरोधी सामग्री या सनातन प्रतीकों और मान्यताओं का अनादर करने वाली सामग्री पोस्ट करने पर रोक लगाने का अधिकार होगा। यह अंधविश्वास के प्रसार को रोकने का भी प्रयास करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि विज्ञान, इतिहास, धर्म, दर्शन और साहित्य से संबंधित सामग्री प्रामाणिक और शोध पर आधारित हो।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बनाया जाएगा जवाबदेह

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