गृह मंत्रालय ने गुरुवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को बड़ा झटका देते हुए उनके NGO SECMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि FCRA 2010 के तहत कई उल्लंघन किए गए थे। यह फैसला तब आया जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने वांगचुक के नेतृत्व वाले संस्थान के खिलाफ FCRA उल्लंघन की जांच शुरू की।
लद्दाख स्थित इस शैक्षणिक संस्थान को 20 अगस्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और जवाब मांगा गया था। SECMOL ने 19 सितंबर को अपना जवाब दाखिल किया, जिसे मंत्रालय ने असंतोषजनक पाया और NGO का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का फैसला किया।
लद्दाख स्थित शैक्षिक संस्था SECMOL को 20 अगस्त को नोटिस भेजा गया था। आरोप थे कि उसने पैसों की गलत रिपोर्टिंग की, विदेशी फंड का गलत इस्तेमाल किया और ऐसी गतिविधियां कीं जो "राष्ट्रीय हित" के खिलाफ मानी गईं। 10 सितंबर को याद दिलाया गया कि अगर जवाब नहीं दिया गया, तो संस्था का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
SECMOL ने 19 सितंबर को जवाब दिया। लेकिन गृह मंत्रालय (MHA) ने जवाब की जांच कर कई गड़बड़ियां पाई और संस्था का FCRA लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया।
गृह मंत्रालय की जांच में क्या निकला?
MHA ने कहा कि SECMOL ने बार-बार धारा 17, 18, 19, 81a और 124f(i) का उल्लंघन किया है। इसे "सिस्टमेटिक नॉन-कंप्लायंस" मानते हुए लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
CBI जांच और वांगचुक की सफाई
MHA की शिकायत पर CBI ने सोनम वांगचुक की दूसरी संस्था HIAL (Himalayan Institute of Alternatives Ladakh) की भी जांच शुरू कर दी है।
वांगचुक का कहना है, "हमें विदेशी फंड नहीं चाहिए, हम अपनी नॉलेज बेचकर राजस्व कमाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में सरकार ने इसे विदेशी चंदा समझ लिया। HIAL और SECMOL उन छात्रों को मुफ्त शिक्षा देते हैं, जो अपनी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते। HIAL में तो छात्रों को प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए स्टाइपेंड भी दिया जाता है।"
इन घटनाओं के बीच, सोनम वांगचुक पर आरोप है कि उन्होंने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग पर हुए आंदोलन में भीड़ को हिंसा के लिए भड़काया।
बुधवार को हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई और 80 से ज्यादा लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने BJP दफ्तर और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने हालात काबू करने के लिए फायरिंग और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। MHA ने कहा कि वांगचुक ने उकसाने वाला भाषण दिया, जिससे भीड़ भड़की। वांगचुक 15 दिन से भूख हड़ताल पर थे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया।
वहीं अब यह फैसला CBI के वांगचुक के नेतृत्व वाले संस्थान के खिलाफ FCRA के कथित उल्लंघन की जांच शुरू करने के बाद आया है।