Magh Mela 2026: माघ मेला हिंदू धर्म के प्रमुख आयोजनों में से एक माना जाता है। इसका आयोजन हर साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर किया जाता है। ये विशेष आयोजन पौष पूर्णिमा से शुरू होता है और महाशिवरात्रि तक लगभग 44 दिनों तक चलता है। इस बीच बहुत से श्रद्धालु कल्पवास करते हैं और कई प्रमुख स्नान पर्व आते हैं, जिसमें साधु-संतों से लेकर आम लोग भी हिस्सा लेते हैं। प्रयागराज के स्थानीय प्रशासन ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आइए जानें इस बार किस-किस दिन होंगे प्रमुख स्नान पर्व और कल्पवास का क्या महत्व है?
क्या है कल्पवास और इसका महत्व
कल्पवास हिंदू माह पौष की पूर्णिमा से लेकर माघ मास की पूर्णिमा तक किया जाता है। यह एक अवधि है, जिसमें बहुत से श्रद्धालु सांसारिक सुख-सुविधा छोड़कर संगम के तट पर भगवान की भक्ति और सधाना में लीन रहते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल एक तिथि कम होने की वजह से कल्पवास 30 दिनों का न होकर 29 दिनों का ही होगा। कड़कड़ाती ठंड में संगम तट पर टेंट से अस्थायर निवास में श्रद्धालु रहते हैं और भगवान की तपस्या करते हैं।
महत्व : हिंदू धर्म में कल्पवास को बहुत पवित्र माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मेले में की गई तपस्या से भक्त जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर बैकुंठ में स्थान पाते हैं। माघ मेले के दौरान मकर संक्रांति का त्योहार आता है, जब सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि उत्तरायण काल में मृत्यु होने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसलिए महाभारत काल में भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर 6 महीने लेटे रहे और सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते रहे। ताकि उसके बाद ही वे प्राण त्याग सकें।
माघ मेले में प्रमुख स्नान पर्व की तारीखें