MGNREGA: मनरेगा का नाम बदलेगी सरकार! अब कहलाएगी- पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी

MGNREGA Name Change: नया नाम रोजगार गारंटी योजना को एक नई पहचान देगा और इसके दायरे को मजबूत बनाता है। मनरेगा (MGNREGA) सरकार की प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना है

अपडेटेड Dec 12, 2025 पर 2:43 PM
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MGNREGA: मनरेगा योजना का नाम बदलेगी सरकार, अब कहलाएगी- पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी

केंद्र सरकार शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लेना जा रही है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (MGNREGA) यानी मनरेगा का नाम बदलकर "पूज्या बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी विधेयक 2025" करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक 12 दिसंबर को हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, नया नाम रोजगार गारंटी योजना को एक नई पहचान देगा और इसके दायरे को मजबूत बनाता है। मनरेगा (MGNREGA) सरकार की प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना है।

मनरेगा योजना के बारे में सबकुछ


MGNREGA (मनरेगा) को भारत सरकार ने 2005 में एक कानून के रूप में पारित किया था, और इसे उस समय की यूपीए सरकार (प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में) ने लागू किया था.​

मनरेगा का औपचारिक नाम है— महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005। इस कानून को 7 सितंबर 2005 को संसद ने पास किया था।​ इसे 2 अक्टूबर 2006 को लागू किया गया, जो महात्मा गांधी की जयंती थी। शुरू में यह 200 जिलों में लागू हुई, और धीरे-धीरे पूरे देश में बढ़ाया गया।

मनरेगा एक ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना है, जिसके तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का मजदूरी रोजगार दिया जाता है।

यह रोजगार अकुशल मजदूरी (जैसे सड़क, तालाब, नहर बनाना) के रूप में दिया जाता है और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान होता है।​ अगर 15 दिन के भीतर काम नहीं दिया जाता, तो आवेदक को बेरोजगारी भत्ता मिलता है।

कोरोना काल में मददगार साबित हुई मनरेगा योजना

Covid-19 महामारी के दौरान मनरेगा ने बेहद अहम भूमिका निभाई। उस समय काम की मांग अचानक बढ़ गई थी, और यह योजना अपने घर लौटे बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने में सहायक बनी।

इस कार्यक्रम को महिलाओं की कार्यभागीदारी बढ़ाने का श्रेय भी दिया जाता है। इसकी वजह यह है कि मनरेगा घर के पास ही मजदूरी की गारंटी देता है, जिससे महिलाओं की अनौपचारिक श्रम बाजार पर निर्भरता कम होती है और उन्हें सुरक्षित व स्थिर रोजगार मिलता है।

इसके अलावा, मंत्रिमंडल की ओर से विकास भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025 को भी मंजूरी दिए जाने की संभावना है, जिसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाना है।

पहले भी बदला जा चुका है मनरेगा का नाम

शुरूआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA), 2005 कहा जाता था।​ लेकिन बाद में, इसे महात्मा गांधी के नाम पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया, जिसे आम भाषा में मनरेगा कहा जाता है।

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