Maharashtra Local Body Polls: महाराष्ट्र अब नगर निगम निकायों के चुनाव OBC आरक्षण के साथ कराने का रास्ता अब साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को 27 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के साथ नए वार्ड परिसीमन के अनुसार स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त, 2025) को अपने एक फैसले में कहा कि निकाय चुनावों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वार्ड बंटवारे के आधार पर ही चुनाव कराए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में राज्य चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर रोक लगाने और 2022 के वार्ड ढांचे के अनुसार बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश से अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। फडणवीस ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही छह मई को निर्देश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनाव, 2017 के ओबीसी आरक्षण के अनुसार कराए जाएं। इस निर्देश की आज फिर से पुष्टि की गई। अब आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में संपूर्ण ओबीसी आरक्षण लागू होगा।"
उन्होंने आगे कहा कि 2022 में बनाए गए वार्ड परिसीमन कानून को रद्द कर दिया गया है। मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता छगन भुजबल ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली और 2022 से पहले की वार्ड संरचनाओं को फिर से लागू करने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करने के आदेश का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, "शीर्ष अदालत के फैसले ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लागू करने में आने वाली महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर कर दिया है।" भुजबल ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के विरोध वाली और 2022 से पहले की वार्ड संरचना को फिर से लागू करने के अनुरोध वाली याचिकाओं सहित कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ये याचिकाएं उन लोगों द्वारा दायर की गई थीं जो यह तर्क दे रहे थे कि ओबीसी आरक्षण को सही ठहराने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। 2022 से पहले की वार्ड संरचनाओं को फिर से लागू किया जाना चाहिए।
राज्य के मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आवश्यक न्यायोचित आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, निरगुडे आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने कहा, "इसके जवाब में हमने अधिक सटीक आंकड़े जुटाने के लिए बांठिया आयोग का गठन किया। बांठिया आयोग के प्रयासों के बावजूद, एकत्र किए गए आंकड़े त्रुटिपूर्ण थे, जिसके कारण कई क्षेत्रों में ओबीसी प्रतिनिधित्व में कमी आई।"
कुछ उदाहरण देते हुए भुजबल ने बताया कि गायकवाड जैसे कुछ जाति नामों को गलत तरीके से कई समुदायों में शामिल किया गया था, जिससे कुछ इलाकों में आरक्षण का नुकसान हुआ। भुजबल ने कहा कि मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनाव 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे।
मंत्री ने कहा, "आज का फैसला इस बात को मजबूत करता है कि चुनाव नए वार्ड/मतदाता क्षेत्रों की सीमाओं के आधार पर होंगे, जिससे ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली एक और याचिका खारिज कर दी और मई 2025 के आदेश के अनुसार चुनाव कराए जाने की पुष्टि की, जिससे ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण सुरक्षित रहेगा।" उन्होंने कहा कि न्यायालय ने यह भी पुष्टि की है कि वार्ड और निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन राज्य सरकार का विशेषाधिकार है।