Maharashtra Reservation: महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) में 70 प्रतिशत नौकरियां संबंधित जिले के निवासी आवेदकों के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया है। सरकार ने यह निर्णय भी लिया है कि राज्यभर के सभी डीसीसीबी में भविष्य की भर्तियां केवल बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS), TCS-iON (टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज) या महाराष्ट्र नॉलेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MKCL) जैसी संस्थाओं के माध्यम से ही की जाएंगी। ताकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता व निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
31 अक्टूबर को जारी एक सरकारी आदेश (GR-government resolution) में कहा गया है, "70 प्रतिशत पद संबंधित जिले के स्थानीय (डोमिसाइल) अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रहेंगे। जबकि शेष 30 प्रतिशत पद अन्य जिलों के परीक्षार्थियों के लिए होंगे।"
जीआर में कहा गया है कि यदि बाहरी जिलों के उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होते हैं, तो वे पद भी स्थानीय परीक्षार्थियों से भरे जा सकते हैं। जीआर के अनुसार, यह निर्देश उन बैंकों पर भी लागू होगा जिन्होंने इस आदेश से पहले भर्ती विज्ञापन जारी किए हैं। सरकार ने कहा कि ऑनलाइन भर्ती से पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता का भरोसा मजबूत होगा।
GR के अनुसार, यह निर्देश उन बैंकों पर भी लागू होता है जिन्होंने इस आदेश से पहले भर्ती के विज्ञापन जारी किए थे। सरकारी आदेश में कहा गया है कि ऑनलाइन भर्ती से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। साथ ही इससे लोगों का भरोसा बढ़ेगा।
यह फैसला पुणे के कमिश्नर और कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ के रजिस्ट्रार द्वारा पहले कोऑपरेटिव बैंकों के लिए ऑनलाइन भर्ती करने के लिए पैनल में शामिल कुछ एजेंसियों के खिलाफ मिली शिकायतों के बाद लिया गया है। राज्य सरकार ने सात अधिकृत भर्ती एजेंसियों के मौजूदा पैनल को रद्द कर दिया है।
GR के अनुसार, DCCBs को अब अपनी भर्ती विशेष रूप से ऑनलाइन प्रक्रिया का उपयोग करके तीन स्वीकृत संस्थानों में से किसी एक के माध्यम से करनी होगी। एक बार भर्ती एजेंसी चुने जाने के बाद काम किसी अन्य संगठन को सब-कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया जा सकता है।
आरक्षण के बाद अब विपक्ष ने की कर्जमाफी की मांग
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बाढ़ और बारिश प्रभावित किसानों की कर्जमाफी पर अगले साल 30 जून तक फैसला करने की घोषणा कर उनका मखौल उड़ा रही है। ठाकरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाली राज्य की 'महायुति' सरकार को तत्काल कृषि कर्ज माफ करना चाहिए। ताकि भारी फसल नुकसान से प्रभावित लोगों को अपना जीवन फिर से शुरू करने में मदद मिल सके। उन्होंने पांच नवंबर से चार दिनों के लिए मराठवाड़ा का दौरा करने की घोषणा की।
मराठवाड़ा में सितंबर के अंतिम सप्ताह में भारी बारिश हुई, जिससे कई हजार हेक्टेयर में लगी फसलें नष्ट हो गईं। ठाकरे ने सवाल किया, "किसान कर्जमाफी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह अगले साल जून में किया जाएगा। क्या किसानों को तब तक किस्तें चुकानी चाहिए या नहीं? वह (मुख्यमंत्री) दावा करते हैं कि अगर अभी कर्जमाफी की जाती है तो इससे बैंकों को फायदा होगा। जून में उन्हें इसका फायदा कैसे नहीं होगा।"
फडणवीस ने 30 अक्टूबर को पूर्व विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू के साथ बैठक के बाद कृषि कर्जमाफी से संबंधित घोषणा की थी। सत्तारूढ़ महायुति ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के दौरान किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। इस बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके प्रमुख आर्थिक सलाहकार प्रवीण परदेशी के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय समिति इस बारे में अप्रैल 2026 के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी कि कर्जमाफी कैसे लागू की जाए और इसके बाद 30 जून 2026 तक इस पर निर्णय लिया जाएगा।
ठाकरे ने दावा किया कि नुकसान का आकलन करने आया केंद्रीय निरीक्षण दल का मराठवाड़ा दौरा बहुत छोटा था। उन्होंने कहा कि केवल दो या तीन दिनों में पूरी तरह से नुकसान का आकलन करना असंभव है। ठाकरे ने कहा कि उनकी महा विकास आघाडी (MVA) ने बिना कोई शर्त रखे दो लाख रुपये तक के फसल लोन माफ कर दिए थे। ठाकरे ने कहा कि मराठवाड़ा में बाढ़ प्रभावित किसानों के साथ उनकी 'संवाद सभा' यह पड़ताल करेगी कि उन्हें (किसानों को) सरकार द्वारा घोषित पैकेज मिला है या नहीं।