2030 तक ये तीन गंभीर बीमारियां हो जाएंगी खत्म! इनमें से एक हर 5 भारतीयों में से 3 की ले लेती है जान

डिजिटल क्रिएटर के अनुसार, दुनिया भर के वैज्ञानिक इन स्थितियों से निपटने के लिए एडवांस वैक्सीन, आधुनिक उपचार और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मेडिकल छात्र क्रिस क्रिसेंथौ के अनुसार, "ये तीन बीमारियां हैं, जिनके 2030 तक पूरी तरह से खत्म हो जाने की उम्मीद है

अपडेटेड Aug 12, 2025 पर 11:58 AM
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2030 तक ये तीन गंभीर बीमारियां हो जाएंगी खत्म! इनमें से एक हर 5 भारतीयों में से 3 की ले लेती है जान

मेडिकल साइंट इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब सबसे खतरनाक बीमारियों का इलाज करना महज एक सपना नहीं रह गया है। अब ऐसा लगता है कि हम ऐसी बीमारियों जड़ से खत्म करने से बस कुछ ही कदम दूर हैं। हाल ही में एक हैरान करने वाले दावे ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, जब बुडापेस्ट के एक मेडिकल छात्र ने घोषणा की कि "कैंसर, अंधापन और पैरालिसिस 2030 तक पूरी तरह से खत्म हो सकता है।"

डिजिटल क्रिएटर के अनुसार, दुनिया भर के वैज्ञानिक इन स्थितियों से निपटने के लिए एडवांस वैक्सीन, आधुनिक उपचार और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मेडिकल छात्र क्रिस क्रिसेंथौ के अनुसार, "ये तीन बीमारियां हैं, जिनके 2030 तक पूरी तरह से खत्म हो जाने की उम्मीद है।"


क्रिसेंथौ के मुताबिक, "पहली बीमारी है कैंसर। कीमोथेरेपी को भूल जाइए, शोधकर्ता अब mRNA कैंसर वैक्सीन का इस्तेमाल करके आपके इम्यून सिस्टम को ट्यूमर पर सेना की तरह हमला करने के लिए ट्रेंड कर रहे हैं।"

उसने आगे कहा, "पर्सनल वैक्सीन, जेनेटिक एडिटिंग और यहां तक कि छोटी दवाएं भी फाइनल टेस्टिंग फेज में हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर जल्द ही इलाज लाइलाज या जानलेवा नहीं रह जाएगा।

क्रिसेंथौ ने आगे कहा, "दूसरी बीमारी है अंधापन। जीन एडिटिंग और स्टेम सेल की मदद से अब उन मरीजों का अंधापन दूर हो रहा है, जिनकी आंखों की बीमारी थी। कुछ प्रोजेक्ट्स में दो अंधे मरीजों की फिर से नजर ठीक हो गई है। एक नई तकनीक जिसका नाम प्राइम एडिटिंग है, वो आनुवांशिक दोषों को ठीक कर सकती है, जिनकी वजह से कुछ लोग जन्म से अंधे होते हैं।"

इसके अलावा तीसरी बीमारी है लकवा। चीन में दो ऐसे लोग थे, जो पूरी तरह लकवाग्रस्त थे, लेकिन अब वे फिर से चलने लगे हैं। इसके लिए उनके दिमाग में एक सिग्नल भेजने वाला डिवाइस और रीढ़ की हड्डी को एक्टिव करने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया गया। उनके दिमाग से सीधे पैरों को सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे रीढ़ की चोट का असर दूर हो गया।"

इंटरनेट पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक यूजर ने लिखा, "विज्ञान एक अद्भुत चीज़ है।"

एक और यूजर ने लिखा, "जब तक दवा उद्योग और कैंसर उद्योग पैसा कमाते रहेंगे, तब तक यह कैंसर का इलाज नहीं बन पाएगा। यह बहुत ज्यादा मुनाफा कमाने वाला है। काश यह सच होता, लेकिन अमेरिका में सिर्फ पैसा ही चलता है।"

एक दूसरे यूजर ने लिखा था, "अगर वे 2030 तक अंधेपन का इलाज कर सकते हैं, तो क्या वे उन्हीं जीन थेरेपी और स्टेम सेल का इस्तेमाल करके पास की नजर और दूर की नजर का भी इलाज करेंगे?!? आंखों के डॉक्टर के पास जाने से छुटकारा पाना एक चमत्कार होगा।"

भारत में कैंसर रेट

भारत में कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, और इसकी ताजा रिपोर्ट GLOBOCAN 2022 के आंकड़ों पर आधारित एक स्टडी से सामने आई है, जिसे The Lancet में प्रकाशित किया गया। इस स्टडी के अनुसार, भारत दुनिया में कुल कैंसर मामलों में तीसरे नंबर पर है, कैंसर से मौतों में दूसरे नंबर पर है, और वैश्विक कच्चे दरों में 121वें स्थान पर है।

2022 में भारत में अनुमानित कैंसर के नए मामले लगभग 14.6 लाख (1,461,427) थे, जिसमें महिलाओं में संक्रमण दर पुरुषों से अधिक (महिला 105.4 प्रति 100,000 और पुरुष 95.6 प्रति 100,000) पाई गई। उम्र के साथ कैंसर होने की आशंका बढ़ती है, खासकर मध्यम उम्र और वृद्ध लोगों में कैंसर का खतरा और मृत्यु दर ज्यादा होती है। बच्चों और युवाओं में यह खतरा सबसे कम होता है।

अध्ययन ने दिखाया कि एक व्यक्ति के जीवनकाल में कैंसर विकसित होने का जोखिम भारत में लगभग 1 में 9 है। 2022 से 2025 तक कैंसर के मामले लगभग 12.8% बढ़ने का अनुमान है। स्तन कैंसर महिलाओं में और फेफड़े का कैंसर पुरुषों में सबसे प्रमुख प्रकार हैं।

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