पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चौकसी की 13 संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। पीएमएलए अदालत ने 46 करोड़ रुपये की कंपनियों की नीलामी की इजाजत दे दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि नीलामी से मिलने वाली रकम को अदालत के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) में रखा जाए। 4 नवंबर को जारी आदेश के मुताबिक, इन 13 संपत्तियों में फ्लैट और कीमती रत्न शामिल हैं, जिनकी अनुमानित कुल कीमत करीब 46 करोड़ रुपये है। इनमें बोरीवली का एक फ्लैट (कीमत 2.6 करोड़ रुपये), बीकेसी में भारत डायमंड बोर्स और कार पार्किंग का स्पेस (कीमत 19.7 करोड़), गोरेगांव की 6 फैक्ट्रियां (18.7 करोड़), चांदी की ईंटें, कीमती रत्न और कंपनी की कई मशीनें शामिल हैं।
नीलाम होने जा रहीं मेहुल चोकसी की संपत्तियां
इन संपत्तियों में बोरीवली के चार फ्लैट (लगभग 2.6 करोड़ रुपये), बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के भारत डायमंड बोर्स में 14 कार पार्किंग के साथ एक वाणिज्यिक यूनिट (करीब 19.7 करोड़ रुपये), गोरेगांव पूर्व के छह औद्योगिक परिसर और उद्योग नगर में एक अन्य प्रॉपर्टी शामिल हैं। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि केवल असुरक्षित संपत्तियों की ही नीलामी की जाएगी, जबकि सुरक्षित लेनदारों के दावे वाली संपत्तियां नीलामी में शामिल नहीं होंगी। साथ ही अदालत ने कहा कि इन संपत्तियों की आय या स्वामित्व का फैसला मुकदमे की कार्यवाही पूरी होने के बाद किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि संपत्तियों की बिक्री से मिलने वाली रकम को आईसीआईसीआई बैंक में सावधि जमा (एफडी) के रूप में रखा जाएगा। बैंक को यह जमा इसलिए सौंपी जाएगी क्योंकि वह जीजीएल और एनडब्ल्यूएल कंसोर्टियम का प्रमुख बैंक है। मूल्यांकन और नीलामी से जुड़ी सभी लागतें और खर्च घटाने के बाद बची हुई राशि को एफडी के रूप में जमा किया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि “एफडी में जमा की गई यह राशि अदालत के नाम पर रखी जाएगी।” गीतांजलि जेम्स, पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के तहत प्रमुख कंपनियों में से एक है। इस मामले में मेहुल चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है।
बेल्जियम की एक अदालत ने पिछले महीने मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं है और चोकसी पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि प्रत्यर्पण उचित है। आदेश के अनुसार, चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं बल्कि एक विदेशी नागरिक है। अदालत ने यह भी कहा कि चोकसी पर लगे आरोपों में आपराधिक गिरोह में शामिल होना, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल शामिल है — जो सभी गंभीर अपराध माने जाते हैं। हालांकि, अदालत ने साफ किया कि भारत में उस पर लगाए गए आरोपों में से एक — सबूत नष्ट करने का आरोप (आईपीसी की धारा 201) — बेल्जियम के कानून के तहत अपराध नहीं है, इसलिए इस विशेष आरोप पर प्रत्यर्पण नहीं दिया जा सकता। चोकसी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इस हफ्ते बेल्जियम के सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की है।