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MP News: दिवाली पर 'कार्बाइड' पटाखा गन ने छीन ली 14 बच्चों की आंखों की रोशनी, 122 अस्पताल में भर्ती

MP News: एमपी में दिवाली के मौके पर खिलौनों के रूप में बेचे जाने वाले खतरनाक 'कार्बाइड' पटाखा गन के इस्तेमाल से कथित तौर पर 14 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई। जबकि मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में 122 मासूमों को आंखों में गंभीर चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है

अपडेटेड Oct 23, 2025 पर 6:28 PM
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MP News: कुछ लोगों के चेहरे झुलस गए हैं। तो कुछ के आंखों की रोशनी भी खतरे में पड़ गई है (फोटो- ndtv)

MP News: दीपावली के मौके पर भोपाल में खतरनाक कैल्शियम 'कार्बाइड गन' से चोटिल हुए 100 से अधिक बच्चे राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें अधिकांश आठ से 14 साल के बच्चे हैं। एक अधिकारी ने गुरुवार (23 अक्टूबर) को बताया कि सभी लोग सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ लोगों के चेहरे झुलस गए हैं। तो कुछ के आंखों की रोशनी भी खतरे में पड़ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाली पर खिलौनों के रूप में बेचे जाने वाले 'कार्बाइड गन' के इस्तेमाल से कथित तौर पर 14 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई। जबकि मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में 122 बच्चों को आंखों में गंभीर चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है।

अधिकारियों ने बताया कि बच्चों ने दिवाली के आसपास 'कार्बाइड गन' से दिवाली मनाया था। इसे "देसी पटाखा गन" भी कहा जाता है। टिन के पाइप और बारूद से बनी यह गन एक जोरदार धमाका करती है। इससे चेहरे और आंखों में गंभीर चोटें आती हैं। NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में तीन दिनों में 120 से ज्यादा बच्चों को गंभीर चोटों के कारण अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इनमें 14 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई।

मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में विदिशा शामिल है। यहां 18 अक्टूबर को सरकार द्वारा लगाए गए बैन के बावजूद स्थानीय बाजारों में "कार्बाइड गन" बिकी। एक पीड़ित ने एनडीटीवी को बताया कि उसने सोशल मीडिया पर वीडियो देखे और घर पर पटाखा गन बनाने की कोशिश की। लेकिन वह उसके सामने फट गई। इससे वह घायल हो गया।


एक अन्य अस्पताल में भर्ती सात वर्षीय पीड़िता ने बताया कि उसने घर में बनी बंदूक खरीदी थी, जिसके बाद वह उसके चेहरे के सामने फट गई। इससे उसकी आंखें पूरी तरह जल गईं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के डॉक्टरों में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों को इन विस्फोटक उपकरणों के प्रति आगाह किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कभी-कभी बच्चे प्लास्टिक या टिन के पाइपों में बारूद, कैल्शियम कार्बाइड और माचिस की तीलियों को भरकर इन्हें घर पर ही बना देते हैं। फिर वे इसे जलाते हैं, जिससे एक जोरदार विस्फोट होता है। विस्फोट के बाद इसके छोटे-छोटे कण और जलती हुई गैस आंखों एवं चेहरे पर लगती है।

भोपाल के सीएमएचओ मनीष शर्मा ने पीटीआई वीडियो से बातचीत में कहा, "कार्बाइड पाइप गन काफी खतरनाक है। इसके इस्तेमाल से चोटिल लोगों का राजधानी के अस्पतालों में अभी भी इलाज जारी है। लेकिन सब सुरक्षित हैं।" उन्होंने कहा कि सेवा सदन अस्पताल में पांच लोगों का इलाज हो रहा है। जबकि अन्य लोग हमीदिया अस्पताल, जेपी अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि दीपावली के अगले दिन पूरे भोपाल शहर में ऐसे 150 से अधिक मामले सामने आए थे। इनमें से कुछ को प्राथमिक इलाज के बाद घर भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि एम्स में भर्ती 12 वर्षीय बच्चे की आंखों की रौशनी लौटाने के लिए डॉक्टरों की टीम प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हमीदिया में भर्ती ऐसे ही दो और बच्चों की आंखों की रोशनी लौटाने के लिए इलाज जारी है।

क्या है 'कार्बाइड' पटाखा गन?

गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल से बनाया गया यह देसी गन इस दीपावली प्रचलन में रहा। गन में भरा कैल्शियम कार्बाइड जैसे ही पानी से मिलता है तो एसिटिलीन गैस बनाता है। चिंगारी मिलते ही विस्फोट होता है। जानकारों ने बताया कि विस्फोट से पाइप के टूटने पर निकलने वाले छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े छरों की तरह शरीर में घुसकर गंभीर चोटें करते हैं।

ये शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुकसान पहुंचाते हैं, विशेषकर आंखों, चेहरे और त्वचा को। हमीदिया अस्पताल में भर्ती 14 साल के हेमंत पंथी और 15 साल के आरिस के परिजनों ने पीटीआई से बातचीत में इस कार्बाइड गन के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। इस गन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग की।

आरिस के पिता सरीख खान ने कहा कि इस प्रकार के गन बाजार में बिकने ही नहीं चाहिए। सीएमएचओ शर्मा ने बताया कि प्रशासन लगातार 'कार्बाइड गन' बेचने और बनाने वालों पर कार्रवाई कर रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 18 अक्टूबर को अधिकारियों के साथ एक बैठक में प्रदेश के जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि कार्बाइड पाइप गन की बिक्री ना हो लेकिन बाजारों में धड़ल्ले से बिका।

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अधिकारियों के अनुसार, ये विस्फोटक रेटिना को जला सकते हैं। साथ ही आंखों को सीधा नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने आगाह किया कि ये बंदूकें खिलौने नहीं। बल्कि एक तात्कालिक विस्फोटक उपकरण हैं। इन बंदूकों की कीमत 150 रुपये से ₹200 के बीच है। दुकानों में खिलौने के रूप में इसे बेची जाती हैं।

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