Mumbai News: मुंबई में एक 60 साल के शख्स को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) का साइंटिस्ट बनकर घूमने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह आदमी केवल साइंटिस्ट ही नहीं, बल्कि फर्जी नामों से कई बार विदेश यात्रा भी कर चुका था। क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी, अख्तर हुसैन कुतुबुद्दीन अहमद को शुक्रवार को पकड़ा और अब उसे 24 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने वर्सोवा में उसके घर पर छापा मारा तो ऐसा सामान मिला, जो किसी जासूसी फिल्म की कहानी जैसा लगता है।
घर पर छापे में मिले 14 नक्शे, फर्जी ID और जासूसी का सामान
छापेमारी के दौरान पुलिस को BARC के दो फर्जी पहचान पत्र मिले। एक पर नाम 'एलेक्जेंडर पामर' और दूसरे पर 'अली रजा हुसैन' लिखा था। पुलिस को फर्जी पासपोर्टों के साथ-साथ फर्जी डिग्रियां (10वीं, 12वीं, BSc, BTech, MBA) और कई एक्सपीरिएंस लेटर भी मिले। ये सभी कागजात एलेक्जेंडर पामर के नाम पर थे। सूत्रों ने बताया कि अहमद को लंबे समय से भौतिकी, जासूसी और सीक्रेट ऑपरेशन में बहुत दिलचस्पी थी। एक अधिकारी ने मजाक में कहा, 'उसे खुद को सीक्रेट एजेंट या न्यूक्लियर एक्सपर्ट बताना पसंद था।
अधिकारियों को उसके घर से 14 नक्शे भी मिले है। पुलिस अब इन नक्शों को जमा करने के पीछे के मकसद की जांच कर रही है। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'हमें शक है कि वह सिर्फ एक चिकनी-चुपड़ी बातें करने वाला धोखेबाज था, जिसने शायद किसी हाई-सिक्योरिटी जोन तक पहुंच नहीं बनाई, लेकिन दूसरों को ये यकीन दिलाता था कि वह ऐसा कर सकता है।'
20 साल से 'एलेक्जेंडर पामर' बनकर रह रहा था अहमद
करीब दो दशकों से अहमद 'एलेक्जेंडर पामर' बनकर रह रहा था, और उसने इस फर्जी नाम से तीन पासपोर्ट और कई सरकारी ID, जैसे आधार और पैन कार्ड भी बनवा लिए थे। अहमद का बैकग्राउंड भी खुफिया एजेंसियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। वह पहले खाड़ी देशों में तेल और मार्केटिंग फर्मों में काम करता था। 2004 में उसे दुबई से डिपोर्ट कर दिया गया था। उस पर आरोप था कि वह भारत से जुड़ी संवेदनशील जानकारी अरब डिप्लोमेट्स को बेचने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, भारतीय जांच एजेंसियों ने बाद में उसे उन आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन उसके बाद से उसकी हरकतों पर नजर रखी जा रही थी।