सोमवार यानी 21 जुलाई,2025 को जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तभी से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। वहीं, चुनाव आयोग ने अगले उपराष्ट्रपति के लिए निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति कर चुनाव प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू कर दिया है। चर्चा यह भी है कि भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) अगले हफ्ते इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए अपने उम्मीदवार के लिए विचार-विमर्श करना शुरू कर देगी। बता दें कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष भी अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
सूत्रों का कहना है कि एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा अगले हफ्ते होगी। फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी विदेश दौरे पर हैं। उनके लौटने के बाद ही इस मुद्दे पर बैठक की जाएगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि राजनीतिक और विधायी अनुभव को देखते हुए पार्टी के अंदर उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय होगा। सरकार को यह भी संकेत मिले हैं कि विपक्ष भी उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है, इसलिए बहुमत के बाद भी बीजेपी पूरा होमवर्क कर रही है।
बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में सत्तारूढ़ एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत नजर आ रहा। ऐसे में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर NDA का उम्मीदवार ही उपराष्ट्रपति बनने की दौड़ में सबसे आगे हो सकता हैं। सूत्रों ने संकेत दिया है कि उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार पार्टी के भीतर से ही चुना जाएगा, जिसका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से मजबूत संबंध होगा।
उम्मीदवार के चयन प्रकिया में चुनावों का ख्याल रखा जाएगा
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव है और ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि भविष्य की राजनीतिक गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए और जगदीप धनखड़ के कार्यकाल से सबक लेते हुए, भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के किसी वरिष्ठ ओबीसी नेता पर दांव खेल सकती है। जैसे कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश। हरिवंश जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने राज्यसभा के उपसभापति के रूप में अपने सात साल के कार्यकाल में सरकार के साथ अच्छा तालमेल बनाया है। ऐसे में उनका नाम भी चर्चा में है।
उपराष्ट्रपति का पद क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत का उपराष्ट्रपति पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो राष्ट्रपति के बाद आता है। उपराष्ट्रपति का सबसे अहम काम राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में सदन की कार्यवाही को संचालित करना होता है। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्यसभा की बहस और चर्चा सुचारू रूप से चले और नियमों का पालन किया जाए। गौरतलब है कि आने वाले महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर) और अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम जैसे राज्यों में बड़े चुनाव होंगे। ऐसे में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन केवल संसदीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति के लिहाज से भी बेहद अहम है।
फिलहाल चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्यसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है, जबकि गरिमा जैन और विजय कुमार को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है। यह पूरी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत पूरी की जाएगी।
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है?
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह चुनाव गोपनीय मतदान के माध्यम से और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) के जरिए होता है। इस प्रक्रिया में सांसद अपनी पसंद के क्रम में उम्मीदवारों को वोट देते हैं। जिस उम्मीदवार को बहुमत के अनुसार आवश्यक मत मिल जाते हैं, वह उपराष्ट्रपति चुना जाता है।
निष्कर्ष के तौर पर बता दें कि यह चुनाव राजनीतिक दृष्टि से इसलिए अहम है क्योंकि यह आने वाले विधानसभा चुनावों के साथ 2029 लोकसभा चुनाव की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए बीजेपी इस पद पर ऐसे नेता को बैठाना चाहती है जो पार्टी के एजेंडे और विचारधारा को मजबूती से आगे बढ़ा सके।