नेपाल में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच बृहस्पतिवार को एक जेल में सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान तीन कैदियों की मौत हो गई, जबकि अब तक दो दर्जन से ज्यादा जेलों से 15,000 से ज्यादा कैदी फरार हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि ताजा घटनाक्रम के साथ, मंगलवार से भड़की हिंसा के दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में मरने वाले कैदियों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। नेपाल की हिंसा का असर भारत सीमावर्ती राज्यों तक पहुंच गया है। सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने हाल के दिनों में नेपाल की अलग-अलग जेलों से फरार हुए 35 कैदियों को गिरफ्तार किया है, अधिकारियों ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की।
इनमें से 22 उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल बॉर्डर पर, 10 बिहार में और तीन पश्चिम बंगाल में पकड़े गए। इस घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इन कैदियों को भारत-नेपाल सीमा पर अलग-अलग चौकियों पर रखा गया था।
अधिकारियों के अनुसार, सभी बॉर्डर एंट्री प्वाइंट पर कड़ी निगरानी के कारण यह संख्या अभी भी बढ़ रही है। अधिकारियों के अनुसार, नेपाल में बड़े पैमाने पर जेल तोड़ने की खबरें आने के बाद SSB की बढ़ाई गई सतर्कता के तहत ये गिरफ्तारियां की गईं।
भारत के सीमा सुरक्षा बल, SSB को भगोड़ों को भारतीय इलाकों में घुसपैठ करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से बचने के लिए सीमा का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए अलर्ट पर रखा गया है।
गृह मंत्रालय के तहत आने वाले SSB, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में फैली 1,751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। फोर्स ने चेकिंग और गश्त बढ़ा दी है और गुप्त सूचनाएं जुटाने में तेजी लाई है।
उधर सीमापार नेपाल में प्रदर्शनकारियों के जेलों पर हमले करने और अराजकता के चलते देशभर में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर बनी हुई है। अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर रहे हैं।
हिंसक प्रदर्शन के कारण के पी शर्मा ओली को मंगलवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद नेपाल सेना ने गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण अलग-अलग प्रांतों में प्रतिबंध लगा दिए।
पुलिस सूत्र ने बताया कि बृहस्पतिवार सुबह मधेस प्रांत के रामेछाप जिला जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।
सूत्र ने बताया कि झड़प तब शुरू हुई, जब कैदियों ने गैस सिलेंडर में विस्फोट करके जेल से बाहर निकलने की कोशिश की। सुरक्षा बलों ने हालात काबू में करने के लिए गोलीबारी की, जिसमें तीन कैदी मारे गए।
पुलिस ने बताया कि घायलों को रामेछाप जिला अस्पताल ले जाया गया।
मीडिया में आई एक खबर में बृहस्पतिवार को कहा गया कि मंगलवार को हिंसा भड़कने के बाद से देश भर में 24 से ज्यादा जेलों में झड़पें और कैदियों के भागने की घटनाएं हुई हैं, जिनमें हजारों कैदी आगजनी और दंगों के बीच भाग गए।
अखबार ‘द काठमांडू पोस्ट’ ने पुलिस के हवाले से कहा, "जेल से भागने की घटनाएं तब शुरू हुईं जब युवा प्रदर्शनकारियों ने कई जेलों में धावा बोल दिया, प्रशासनिक भवनों में आग लगा दी और जेल के दरवाजे जबरन खोल दिए। बुधवार शाम तक शुरुआती रिपोर्टों से पुष्टि हुई कि 25 से ज्यादा जेलों से 15,000 से ज्यादा कैदी भाग गए थे, जिनमें से केवल कुछ ही स्वेच्छा से लौटे या फिर से गिरफ्तार किए गए।’’
गंडकी प्रांत के कास्की जिला कारागार से 773 कैदी भागे। जेलर राजेंद्र शर्मा ने बताया कि भागने वालों में 13 भारतीय नागरिक और चार दूसरे विदेशी शामिल हैं।