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खाना पकाने के बाद बचे बेकार तेल से उड़ेंगी फ्लाइट, Indian Oil की रिफाइनरी को मिला सर्टिफिकेशन

SAF नॉन-पेट्रोलियम फीडस्टॉक से बना एक वैकल्पिक ईंधन है, जो एयर ट्रांसपोर्टेशन से होने वाले उत्सर्जन को कम करता है। भारत ने 2027 से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियों को बेचे जाने वाले जेट ईंधन में 1 प्रतिशत SAF मिलाए जाने को अनिवार्य कर दिया है

अपडेटेड Aug 17, 2025 पर 11:58 AM
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ATF में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल को 50 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है।

घर या रेस्टोरेंट में फूड आइटम्स को तलने के बाद बचे हुए तेल को अक्सर फेंक दिया जाता है। लेकिन अब इससे फ्लाइट उड़ सकेंगी। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) की एक रिफाइनरी को अब इस बेकार तेल से सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाने का स​र्टिफिकेशन मिल गया है। कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने यह जानकारी दी।

SAF नॉन-पेट्रोलियम फीडस्टॉक से बना एक वैकल्पिक ईंधन है, जो एयर ट्रांसपोर्टेशन से होने वाले उत्सर्जन को कम करता है। उपलब्धता के आधार पर, इसे ट्रेडिशनल एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF या जेट ईंधन) में 50 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है। भारत ने 2027 से अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन कंपनियों को बेचे जाने वाले जेट ईंधन में 1 प्रतिशत SAF मिलाए जाने को अनिवार्य कर दिया है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, साहनी का कहना है कि हरियाणा के पानीपत स्थित इंडियन ऑयल की रिफाइनरी ने इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल से SAF बनाने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) का ISCC CORSIA सर्टिफिकेशन हासिल कर लिया है। ISCC यानि कि इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी एंड कार्बन सर्टिफिकेशन को कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (CORSIA) के तहत विकसित किया गया है। इंडियन ऑयल यह सर्टिफिकेशन हासिल करने वाली देश की पहली कंपनी है।


2025 के आखिर से सालाना 35000 टन SAF का उत्पादन

साहनी ने बताया कि चालू कैलेंडर ईयर 2025 के अंत से यह रिफाइनरी सालाना लगभग 35,000 टन SAF का उत्पादन शुरू कर देगी। यह उत्पादन 2027 में देश के लिए अनिवार्य एक प्रतिशत SAF मिक्स की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी होगा। एजेंसियां बड़े यूजर्स जैसे कि होटल चेन्स, रेस्टोरेंट और हल्दीराम जैसी स्नैक्स और मिठाई बनाने वाली कंपनियों से इस्तेमाल किया हुआ खाना पकाने का तेल इकट्ठा करेंगी। उसके बाद इसकी सप्लाई पानीपत रिफाइनरी को की जाएगी। पानीपत रिफाइनरी में इस तेल का इस्तेमाल SAF का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा।

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बड़े होटल और रेस्टोरेंट चेन आमतौर पर एक बार इस्तेमाल के बाद खाना पकाने के तेल को फेंक देते हैं। अभी इस इस्तेमाल किए हुए तेल को एजेंसियों इकट्ठा करती हैं और फिर इसका एक्सपोर्ट होता है। साहनी के मुताबिक, ‘‘देश में इस तरह का तेल बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। एकमात्र चुनौती इसे इकट्ठा करने की है। बड़ी होटल चेन से इसे इकट्ठा करना आसान है, लेकिन घरों सहित छोटे यूजर्स से इसे जुटाने के लिए समाधान खोजने की जरूरत है।’’

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