चाहे सीएम रहे हों या अब पीएम, आतंकियों के फन कुचलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते पीएम मोदी!
पहलगाम हमले का बदला चौदह दिनों में ले लिया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। इससे पहले उड़ी और पुलवामा में हुए आतंकी हमले का भी बदला दो हफ्ते के अंदर लिया था मोदी ने। हर बदला, पहले के मुकाबले काफी बड़ा, काफी सख्त, असरदार। दरअसल मोदी के लिए ये नया नहीं है, गुजरात के सीएम रहते हुए ही उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को फ्रंट से लड़ने की शुरुआत कर दी थी, आतंकियों के फन कुचलने का फैसला किया था, जीरो टोलरेंस की पॉलिसी के साथ।
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद फ्रंट से इस ऑपरेशन को लीड किया। प्लानिंग से लेकर ऑपरेशन को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने तक, हर कदम पर उन्होंने मजबूती से कदम उठाए
ऑपरेशन सिंदूर के तहत जिस तरह से पाकिस्तान में टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त किया गया है, वो अपने आप में ऐतिहासिक है। लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के पाकिस्तान स्थित मुख्यालयों को ही ध्वस्त नहीं किया गया, बल्कि हिजबुल मुजाहिदीन के भी सबसे प्रमुख आतंकी ट्रेनिंग सेंटर को ध्वस्त किया गया है। जिन नौ ठिकानों को भारत ने ध्वस्त किया, उनमें से कुछ पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू- कश्मीर में हैं, तो कुछ पाकिस्तान के बड़े शहरों या उनके बगल में। मसलन हाफिज मोहम्मद सईद जिस मुरिदके के मरकज तईबा से लश्कर ए तैयबा चलाता है, उसको ध्वस्त किया गया, तो जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का जो मुख्यालय बहावलपुर में मरकज सुभान अल्लाह के तौर पर जाना जाता है, उसे भी ध्वस्त किया गया।
इसी तरह उन सात और ठिकानों को तबाह किया गया, जो या तो जैश, लश्कर या फिर हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग सेंटर रहे हैं या फिर लांच पैड, जहां से जम्मू- कश्मीर सहित भारत के अन्य हिस्सों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए आतंकी भेजे जाते हैं पाकिस्तान की सरपरस्ती में।
इन सबको ध्वस्त करके मोदी की अगुआई वाले भारत ने साफ संकेत दे दिया है, जो भी भारत में आतंकी हमले करेगा, या फिर उसको शह देगा, उसका मास्टरमाइंड होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा, जहां भी होगा, मार गिराया जाएगा। ध्यान रहे कि बहावलपुर भारत- पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सौ किलोमीटर दूर है, वहां मौजूद जैश के मुख्यालय को ध्वस्त करने में भी नहीं हिचका मोदी की अगुआई वाला भारत।
मोदी ने जिस तरह से पहलगाम हमला होने के बाद अपना विदेश दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश वापसी की और अपने पहले सार्वजनिक संदेश में ही कह दिया कि पहलगाम के गुनहगारों को, जहां भी हों, बख्शा नहीं जाएगा, उससे साफ हो गया था कि आतंकियों और उनके आकाओं की ही नहीं, बल्कि उनके पनाहगाह पाकिस्तान की खैर नहीं।
भारतीय फौज को पहलगाम का बदला लेने की पूरी छूट देकर मोदी ने दो हफ्ते के अंदर अपने वादे को पूरा भी कर दिया, पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता रह गया और उसके अंदर मौजूद तमाम आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करते हुए उसकी नाक काट ली गई।
Operation Sindoor: पीएम मोदी ने की ऑपरेशन की अगुवाई
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद फ्रंट से इस ऑपरेशन को लीड किया। प्लानिंग से लेकर ऑपरेशन को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने तक, हर कदम पर उन्होंने मजबूती से कदम उठाए। यहां तक कि इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखना भी उन्हीं का विचार रहा, आखिर पाकिस्तान की सरपरस्ती और साजिश के तहत पहलगाम में चुन-चुनकर हिंदुओं को मार कर उनकी पत्नियों का सिंदूर छिन लेने वालों को मुंहतोड़ जबाव देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर से बेहतर नाम क्या हो सकता था। मोदी को देशवासियों, खासतौर पर, महिलाओं की भावनाओं का भली- भांति अंदाजा था, उनकी आस पर खरे उतरे मोदी।
दरअसल मोदी के लिए ये नया नहीं है। इससे पहले पुलवामा और उससे पहले उड़ी मे हुए आतंकी हमले का भी वो मजबूती से बदला ले चुके हैं। उड़ी का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से लिया, तो पुलवामा में हुए आतंकी हमले का बदला बालाकोट में एयरस्ट्राइक के जरिये।
मोदी ने आतंक के खिलाफ जीरो टोलरेंस वाली अपनी नीति गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए ही बना ली थी। सात अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले मोदी को साल भर के अंदर ही गुजरात में आतंकी हमले का सामना करना पड़ा था। ये हुआ था 24 सितंबर, 2002 को, गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के तौर पर। ये जगह उनके आधिकारिक सीएम आवास के दूसरी तरफ ही थी।
मोदी ने ये सुनिश्चित किया कि न सिर्फ आतंकियों को ब्लैक कैट कमांडो की मदद से मार गिराया जाए, बल्कि उसकी साजिश रचने और उसमें हिस्सेदार रहे आतंकियों को पाताल से भी पकड़कर उनके खिलाफ केस चलाया जाए, सजा दिलाई जाए। मोदी इसमें सफल रहे। इसके बाद कई आतंकियों ने, जिन्होंने गुजरात में हमले की साजिश रची समय- समय पर, उन्हें भी या तो मार गिराया गया, या फिर पकड़कर सजा दिलाई गई।
मोदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती आई थी, 26 जुलाई 2008 को जब अहमदाबाद में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने सीरियल ब्लास्ट किया था। इसमें पचास से भी अधिक लोगों की जान गई थी। मोदी ने इसके बाद प्रण लिया कि इंडियन मुजाहिदीन को जड़ से खत्म कर देंगे। इस प्रण के साथ वो लगातार बैठकें करते रहे, अपने अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते रहे और आखिरकार इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े तमाम आतंकियों को पकड़ा, उन पर केस चलवाया और फिर कड़ी सजा अदालतों के जरिये दिलवाई। मोदी की यही वो जीरो टोलरेंस की पॉलिसी है, जो पहलगाम हमले के चौदह दिन बाद ऑपरेशन सिंदूर के तौर पर दिखी है। पाकिस्तान को मोदी के ट्रैक रिकॉर्ड का ध्यान रखना होगा, अन्यथा मार और गहरी पड़ेगी, उसे भी और उसके आतंकी गुर्गों को भी।