पाहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में पाया गया है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान से आए आतंकवादी थे, जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े हुए थे। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे और 16 अन्य घायल हुए थे।
स्थानीय लोगों ने दी थी मदद
NIA ने दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है – परवेज अहमद जोठार (बाटकोट) और बशीर अहमद जोठार (हिल पार्क)। इन पर आरोप है कि इन्होंने आतंकियों को हमले से पहले पनाह, खाना और दूसरी मदद दी थी। बताया जा रहा है कि आतंकियों को हिल पार्क इलाके के एक मौसमी झोपड़ी में शरण दी गई थी।
धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया हमला
जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया। अधिकारियों ने इसे हाल के सालों के सबसे वीभत्स आतंकी हमलों में से एक बताया है।
अबोटाबाद से शुरू हुई थी आतंकी यात्रा
जांच एजेंसियों के मुताबिक, आतंकियों ने पाकिस्तान के अबोटाबाद से अपनी यात्रा शुरू की थी, फिर मुजफ्फराबाद होते हुए पुंछ-राजौरी सेक्टर से भारत में घुसे। यह रूट पहले भी सीमा पार आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होता रहा है।
अबोटाबाद पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक शांत, हरा-भरा और मिलिट्री एरिया वाला शहर है। ओसामा बिन लादेन अमेरिका को चकमा देकर इसी शहर में सालों से छिपा हुआ था।
उसकी छिपने की जगह एक हाई-सिक्योरिटी कंपाउंड (दीवारों से घिरा हुआ घर) था, जो पाकिस्तानी मिलिट्री एकेडमी से बस कुछ ही किलोमीटर दूर था।
खास ट्रेनिंग और टैक्टिक्स से लैस थे आतंकी
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये आतंकी पहले भी जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में हमले कर चुके हैं और हाई लेवल ट्रेनिंग हासिल कर चुके थे, जिसमें गुप्त रूप से मूवमेंट, हमले की रणनीति और सरवाइवल स्किल्स शामिल हैं।
डिजिटल फुटप्रिंट से मिल रहे सुराग
NIA की टीम अब आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट और कम्युनिकेशन ट्रेल्स का भी विश्लेषण कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये आतंकी ऐसी खास कम्युनिकेशन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसे ट्रैक करना काफी मुश्किल है।
कई सुरक्षित जगहों पर छिपे थे आतंकी
जांच में यह भी सामने आया है कि हमले से पहले आतंकी कई सुरक्षित ठिकानों में ठहरे और दूसरे आतंकी मॉड्यूल्स से संपर्क में थे। जम्मू इलाके में हुए कुछ पुराने हमलों में भी इनकी भूमिका की जांच की जा रही है।
पुलिस और जांच एजेंसियों ने CCTV फुटेज, चश्मदीदों के बयान, पुलिस स्केच और तकनीकी डेटा जैसे कई मजबूत सबूत इकट्ठा किए हैं। हालांकि केस अभी आधिकारिक रूप से बंद नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सबूतों की कड़ी मजबूत है।
गिरफ्तार परवेज और बशीर ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उन्होंने आतंकियों को मदद दी थी। उन्होंने तीनों आतंकियों की पहचान बताई और यह भी पुष्टि की कि वे पाकिस्तानी नागरिक हैं और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए हैं।