पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों में से एक सैयद आदिल हुसैन शाह भी हैं, जो इलाके में टट्टू की सवारी का काम करते थे। शाह ने बड़ी ही जांबाजी से आतंकवादियों से दो-दो हाथ किए और उनसे लड़ते समय उन्हें गोली मार दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदिल स्थानीय निवासी थे और एक महिला को हमले से बचाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने एक आतंकवादी से राइफल छीनने का भी कोशिश की। आदिल अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और हमले में मरने वाला मुस्लिम समुदाय का अकेला व्यक्ति था।
रिपोर्टों से पता चला है कि आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछने और उनसे इस्लामी आयत कलमा पढ़ने को कहा, जो नहीं पढ़ पाया उन्हें बड़ी ही बेरहमी से गोली मार दी गई।
न्यज एजेंसी ANI से बात करते हुए शाह के पिता ने कहा, "मेरा बेटा काम करने के लिए पहलगाम गया था और दोपहर करीब 3 बजे हमें हमले के बारे में पता चला। हमने उसे फोन किया, लेकिन उसका फोन बंद था।"
उन्होंने बताया, "बाद में, शाम 4.40 बजे उसका फोन चालू हुआ, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। हम पुलिस स्टेशन पहुंचे और तब हमें पता चला कि वह हमले में घायल हो गया है। जो भी जिम्मेदार है, उसे इसका नतीजा भुगतना होगा।"
शाह ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। उन्हें याद करते हुए रोती बिलखती उनकी मां ने कहा, "वह परिवार में कमाने वाले अकाला था।"
इस हमले में कुल 26 पर्यटक मारे गए, जबकि कई अन्य घायल हो गए।
वहीं 35 सालों में पहली बार आज कश्मीर पूरी तरह से बंद है, एक दिन पहले घाटी में सबसे निर्मम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों से लोगों से बंद में शामिल होने की अपील की गई और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
पहलगाम में बाजार पूरी तरह से बंद हैं। यह पर्यटक स्थल कल जो हुआ उसे भूलने की कोशिश कर रहा है। मारे गए 26 निर्दोष लोगों में सैयद आदिल हुसैन शाह भी शामिल है, जो पर्यटकों को घुड़सवारी कराते थे और जब उन्होंने हत्यारों का सामना करने और आतंकवादियों से लड़ने की कोशिश की तो उन्हें गोली मार दी गई।