Pahalgam Terror Attack Chargesheet: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मामले में सोमवार (15 दिसंबर) को 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इनमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसके मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के सदस्य और पड़ोसी देश में मौजूद उनका आका भी शामिल हैं। चार्जशीट में पाकिस्तान की साजिश, आरोपियों की भूमिका और मामले को साबित करने में सहायक सबूतों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है।
चार्जशीट में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ को पहलगाम हमले की साजिश रचने, साजो-सामान मुहैया कराने और उसे अंजाम देने में उसकी भूमिका के लिए एक कानूनी इकाई के तौर पर आरोपित किया गया है। पहलगाम हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय टट्टू ऑपरेटर मारे गए। आतंकवाद रोधी एजेंसी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान में बैठे आका साजिद जट्ट को भी जम्मू स्थित स्पेशल NIA कोर्ट में दाखिल 1,597 पन्नों के चार्जशीट में बतौर आरोपी नामजद किया गया है।"
NIA की तरफ से दाखिल चार्जशीट में मारे गए तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों के नाम भी शामिल हैं। उन्हें घातक आतंकी हमले के 99 दिन बाद 29 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम में 'ऑपरेशन महादेव' के दौरान सेना ने मार गिराया था। तीनों की पहचान फैसल जट्ट उर्फ सुलेमान शाह, हबीब ताहिर उर्फ जिब्रान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की धारा भी लगाई है। बयान के मुताबिक, NIA ने लगभग आठ महीने तक चली विस्तृत वैज्ञानिक जांच के माध्यम से पता लगाया कि इस पूरी साजिश के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। पाक भारत के खिलाफ आतंकवाद को लगातार प्रायोजित कर रहा है।
बयान के मुताबिक, आतंकवादियों को पनाह देने के आरोप में NIA द्वारा 22 जून को गिरफ्तार परवेज अहमद और बशीर अहमद जोथर के खिलाफ भी चार्जशीट दायर किया है। बयान के मुताबिक, पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने हमले में संलिप्त तीन सशस्त्र आतंकवादियों की पहचान उजागर की। साथ ही यह भी पुष्टि की कि वे प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक थे।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सुरक्षा बलों ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इस अभियान को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया। इस अभियान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों और ट्रेनिंग सेंटरों सहित उन 9 स्थानों को निशाना बनाया गया था, जिनसे भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जाती थी।