पहलगाम के बाद सब्र का बांध तो टूटा लेकिन पीएम मोदी की नजर अर्जुन की तरह चिड़िया की आंख पर टिकी
पहलगाम के बाद पीएम मोदी की बॉडी लैंग्वेज से भी ऐसा ही लग रहा कि इस मामले पर उनकी खामोशी आने वाले तूफान का संकेत है। जनता के बीच जाकर ये शांत चेहरा ये साबित कर रहा है कि बड़ी चालें परदे के पीछे ही चली जा रहीं हैं जिसकी थाह पाकिस्तान में आतंकियों के आकाओं को नहीं मिल पा रही
देश की जनता को भरोसा है कि पीएम नरेंद्र मोदी समझ बूझ कर अपनी अगली चाल चलेंगे
पहलगाम पर निहत्थे पयर्टकों पर पाकिस्तान से आए आतंकियों की बर्बरता न तो पीएम मोदी भूलेंगे और न ही देश की जनता। पहलगाम ने देश के सब्र का बांध तोड़ दिया है। देश को भरोसा है कि मोदी सरकार हड़बड़ाहट में ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे पाकिस्तान को सिर उठाने का मौका मिले। पीएम मोदी का एक ही ऐजेंडा है कि समय कम है और दुश्मनों को अधिकतम नुकसान पहुंचाना है। तभी तो पहलगाम मे हुए नृशंष हत्याकांड के बाद पीएम मोदी अपने 11 साल के पूरे कार्यकाल में पहली बार विदेश दौरे को रद्द कर बीच में वापस लौटे थे। एयरपोर्ट पर ही शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और सुबह पहली बैठक कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की बैठक में पूरे मामले की तह तक गए। फिर क्या था भारत का एक के बाद एक पाकिस्तान को घेरने की कवायद शुरू कर दी।
तनाव नहीं झलकना पीएम मोदी के व्यक्तित्व की विशेष खासियत
जाहिर है सब्र का बांध पूरे देश का टूटा है। पीएम मोदी के भी सब्र का बांध टूटा है।देश की जनता को भरोसा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी समझ बूझ कर अपनी अगली चाल चलेंगे।पीएम ये भी जानते हैं कि कश्मीर के साथ साथ देश का मनोबल बढ़ाए रखना है। हम बात कर रहे हैं पीएम के बॉडी लैंग्वेज की। तनाव तो अंश मात्र का नजर नहीं आ रहा है।
पीएम मोदी के व्यक्तित्व की खासियत ही यही है कि विपरित परिस्थितियों में भी उनके चेहरे और उनकी बॉडी लैंग्वेज ये जरा भी नजर नहीं आता कि वो किसी बात को लेकर परेशान हैं या फिर विचलित हैं। पाकिस्तान के खिलाफ कारवाई के लिए रणनीति बनाते पीएम मोदी रोजमर्रा के प्रशासनिक और विकास के कामों को भी बिना किसी क्लेश के निपटना रहे है। राजनीतिक मामलों की कैबिनेट की समिति ने जातिय जनगणना का फैसला भी ले लिया है जिसके दूरगामी असर होने वाला है।
पीएम मोदी ऐसे ही हैं। इस महत्वपूर्ण वक्त में पीएम एक के बाद एक जनता के बीच कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। पहलगाम के बाद वो बिहार में जनता के बीच एक रैली में गए और पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी। फिर देश भर के युवाओं को रोजगार मेले के तहक नियुक्ति पत्र भी बांटे। दुश्मन पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर करने की कारवाही चलती रही और पीएम विकास से संबंधित योजनाओं को देश के लिए समर्पित करते रहे हैं।
इतने तनावों के बीच पीएम मोदी के चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आ रहा है कि किसी बड़े काम को अंजाम देने जा रहे हैं। इसके पहले भी कई उदाहरण आए हैं कि पीएम मोदी ऐसे ही शांत रहे हैं और अपनी गरीमामय उपस्थिति बनाए रखे और परदे के पीछे हर बड़ा कदम उठा कर देश के सामने साबित कर दिया कि मोदी है तो मुमकिन है।
सर्जिकल स्ट्राईक के बाद पीएम ने एक कार्यक्रम में लतीफे सुनाए
मुझे याद आ रहा है 28 सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राईक के समय का माहौल। फौज की तैयारियां जोरों पर थीं जबकि 26 सितंबर को पीएम मोदी सीएसआईआर की प्लैटिनम जुबिली कार्यक्रम का उद्घाटन कर वहां के वैज्ञानिकों के साथ मुलाकात कर रहे थे। 27 सितंबर को पीएम मोदी ने माता आनंदमयी के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया।
28 सितंबर को जब वो सर्जिकल स्ट्रईक के बाद पहली बार एक पब्लिक प्लेटफार्म पर आए तो बड़े बड़े मंत्री, देश भर से आए अधिकारी स्वच्छता अभियान पर पीएम मोदी को सुनने पहुंचे थे। मौका था विज्ञान भवन में आयोजित एंडोसेन समिट का। पूरा देश उम्मीद लगाए बैठा था कि पीएम मोदी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार बोलने जा रहे हैं तो पाकिस्तान की तो ईंट से ईंट बजा देंगे। लेकिन हुआ इसके ठीक विपरित। पीएम मोदी ने दिखा दिया कि वो बोलते नहीं कर के दिखाते हैं। पीएम मोदी के हाव भाव और तेवर तो ऐसे नजर आ रहे थे, मानों कुछ हुआ ही न हो।
जी हां हम बात कर रहे हैं पीएम मोदी के इत्मिनान से भरी भाव भंगिमा की। स्वच्छ भारत अभियान के 2 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी बोले और खूब बोले। पाकिस्तान पर एक शब्द भी नहीं जाया किया और आम आदमी की जिंदगी से जुडे़ अनुभवों को स्वच्छ भारत से जोड़ कर ऐसे ऐसे लतीफे मारे कि पूरा विज्ञान भवन हंसी से गूंजता रहा।
कभी स्वच्छ भारत में रुमाल के टेंडर पर चुटकुले सुनाकर अधिकारियों की चुटकी ली, तो दूसरी तरफ एक आदमी के मूल स्वभाव पर भी ऐसे-ऐसे लतीफे सुनाए कि सब हंस-हंस के लोट पोट हो गए। हर एक चुटकुला ऐसा कि हॉल में बैठा हर शख्स खुद को भी किरदार समझने लगा। हर चुटकुले के पीछे स्वच्छ भारत से जुडी एक सीख छिपी थी। कहीं भी सर्जिकल स्ट्राईक का जिक्र नहीं आया।
पीएम का पहला लतीफा एक आम आदमी के स्कूटर पर था। उन्होने बताया कि कैसे एक व्यक्ति अपने स्कूटर का ख्याल रखता है। सुबह उठ कर बडे जतन से सबसे पहले उसकी सफाई करता है, पर जब वही व्यक्ति घर से निकल कर सरकारी बस में बैठता है और जैसे ही बगल की सीट खाली देखता है, तब उसकी उंगली बरबस सामने वाली सीट के अंदर चली जाती है। फिर पूरे रास्ते सीट खराब करने में लगा देता है। पीएम ने चुटकुला सुना कर सबकी चुटकी लेते हुए बस इतना ही कहा कि इस हॉल में बैठे सभी लोगों ने कभी न कभी ऐसे सीट जरुर बर्बाद की होगी। सबके चेहरे पर हंसी तो थी लेकिन दिख ये भी रहा था कि वो कभी न कभी ऐसे ड्रामे में किरदार रहे हैं।
दूसरा लतीफा गुजरात का था। पीएम ने अपने पुराने संघ के दिनों को याद करते हुए कहा कि सालों पहले मोरबी जिले में बाढ़ आयी थी। वो बतौर वोलंटियर काम राहत कार्यों के लिए वहां गए थे। पीएम ने बताया कि उन्होंने वहां महीनों काम किया। फिर वापस लौट गए। पर तीन-चार सालों के बाद किसी के बुलावे पर वहां गए और उस स्कूल में भी गए जहां टॉयलेट का निर्माण उन्होंने बाढ़ राहत के दौरान किया था। इसके बाद मोदी ने कुछ ऐसा कहा कि किसी की हंसी नहीं रुकी। पीएम ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि उन्होने देखा कि स्कूल में जहां टॉयलेट बने थे वहां बकरियां बंधीं थी। मोदी के पूछने पर वहां के शिक्षकों ने बताया कि वहां ऐसा ही होता है। सीख यहां भी थी।
बालाकोट पर निशाना साधने के पहले और बाद भी पीएम मोदी की चेहरे पर शिकन नजर नहीं आयी
पुलवामा की घटना के बाद देश सकते मे था। पाकिस्तान को सबक सिखाना ही था। एयर स्ट्राईके चंद घंटे पहले ही हमारे न्यूज 18 नेटवर्क के सबसे बड़े कॉनक्लेव राईजिंग इंडिया में पीएम मोदी में हिस्सा लिया। लेकिन न तो अपने भाषण मे और न ही नेटवर्क 18 के शीर्ष संपादकों के सामने ऐसा कोई जिक्र किया कि कोई खबर निकले। पीएम मोदी जब पहुंचे तो पूरी टीम से खूब हिले मिले। तस्वीरें भी खिंचवाईं। न तो पीएम चेहरे पर कोई शिकन नजर आयी और न ही कहीं ऐसा नहीं लगा कि पीएम मोदी परेशान हैं। वहां मौजुद हम सबको भनक तक नहीं लगी की वापस जाकर पीएम पूरी रात अपने जांबाजो को पाकिस्तान को सबक सिखाते देख कर ही सोने जाएंगे। 25 फरवरी की शाम ही पीएम मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल देश को समर्पित किया था। साफ ये भी था कि मोदी सरकार सिर्फ कहती नहीं कर के दिखाती है।
पाकिस्तान की सीमा में घुस कर ट्रेनिंग के अड्डों और आतंकियों दोनों को नष्ट करने का फैसला आसान नहीं होता। लेकिन इसने सेना का मनोबल भी बढ़ा दिया था। इन सर्जिकल स्ट्राईक्स पर दुनिया भर में किसी देश ने उंगली तक नहीं उठायी। तभी तो सर्जिकल स्ट्राईक के बाद पहली बार पब्लिक प्लेटफार्म पर आए तो साफ हो गया कि पीएम कितने रिलैक्स्ड थे। पहलगाम के बाद भी पीएम मोदी की बॉडी लैंग्वेज से भी ऐसा ही लग रहा कि इस मामले पर उनकी खामोशी आने वाले तूफान का संकेत है। जनता के बीच जाकर ये शांत चेहरा से साबित कर रहा है कि बड़ी चालें परदे के पीछे ही चली जा रहीं हैं जिसकी थाह पाकिस्तान में आतंकियों के आकाओं को नहीं मिल पा रही।