भारत में 'फिदायीन हमले' के लिए ऑनलाइन ₹6400 का चंदा जुटा रहा जैश!

वे महिलाओं के नेतृत्व में हमले की भी साजिश रच रहे होंगे। जैश के पास पहले से ही एक 'महिला विंग' है। आतंकवादी सरगना मसूद अजहर की बहन सादिया को इस यूनिट की कमान सौंपा गई थी। पहलगाम हमले के बाद भारत के जवाबी ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस विंग को जैश ने तैयार किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश के ठिकानों को तबाह कर दिया गया था

अपडेटेड Nov 19, 2025 पर 3:41 PM
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भारत में 'फिदायीन हमला' के लिए ऑनलाइन ₹6400 चंदा जुटा रहा जैश (Delhi Blast File Photo)

दिल्ली के लाल किले के बाहर हुए कार धमाके के तार पाकिस्तान के आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हैं। अब खुफिया सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है कि ये प्रतिबंधित आतंकी गुट भारत में एक और हमला करने के लिए एक 'फिदायीन' या आत्मघाती दस्ता तैयार कर रहा है और इस मकसद के लिए पैसा भी जुटा रहा है। सूत्रों के अनुसार, लाल किला विस्फोट की जांच के दौरान मिले सुरागों से पता चलता है कि जैश के नेताओं ने डिजिटल प्लेटफॉर्म से फंड जुटाने की अपील की थी, जिसमें SadaPay नाम का एक पाकिस्तानी ऐप भी शामिल था।

NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया, वे महिलाओं के नेतृत्व में हमले की भी साजिश रच रहे होंगे। जैश के पास पहले से ही एक 'महिला विंग' है। आतंकवादी सरगना मसूद अजहर की बहन सादिया को इस यूनिट की कमान सौंपा गई थी।

पहलगाम हमले के बाद भारत के जवाबी ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस विंग को जैश ने तैयार किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के बहावलपुर में जैश के ठिकानों को तबाह कर दिया गया था।


लाल किला विस्फोट के प्रमुख संदिग्धों में से एक - डॉ. शाहिना सईद, जिसका कोडनेम कथित तौर पर 'मैडम सर्जन' था, वो कथित तौर पर इसी यूनिट की सदस्य है, जिसे जमात उल-मुमिनात कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस हमले की फंडिंग की जिम्मदारी शाहिना के पास ही थी।

'दान' की अपील करने वाले जैश नेताओं ने कथित तौर पर कहा कि जो कोई भी किसी 'मुजाहिद' के लिए सर्दियों की किट मुहैया कराएगा, उसे खुद 'जिहादी' माना जाएगा। इसी तरह, जो कोई भी 'किसी जिहादी' के मारे जाने के बाद उसकी देखभाल करेगा, उसे भी 'जिहादी' ही कहा जाएगा। यहां 'मुजाहिद' शब्द लड़ाके के लिए इस्तेमाल किया गया है।

ऐसा माना जा रहा है कि 'दान' की रकम 20,000 पाकिस्तानी रुपए या लगभग 6,400 भारतीय रुपए है, और इसका इस्तेमाल जूते और ऊनी मोजे, गद्दा, तम्बू जैसी चीजें खरीदने के लिए किया जाएगा, जिनकी किसी आतंकवादी को हमले से पहले या बाद में जरूरत पड़ सकती है।

सूत्रों के अनुसार, इसका मकसद इलाके में मौजूद आतंकी गुटों, जैसे कि लाल किले पर हमले को अंजाम देने वाले 10 सदस्यों वाले 'आतंकवादी डॉक्टर' संगठन, को तुरंत पैसा पहुंचाना है। इस डिजिटल फंडिंग नेटवर्क की एक अलग जांच भी शुरू की गई है।

10 नवंबर को लाल किले के पास अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल और दूसरे विस्फोटकों से भरी एक Hyundai i20 कार में हुए धमाके में पंद्रह लोग मारे गए थे। कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था और उसकी भी इसी धमाके में मौत हो गई। मंगलवार को मोहम्मद का एक बिना तारीख वाला, खुद से शूट किया गया वीडियो ऑनलाइन सामने आया, जिसमें उसने आत्मघाती बम धमाके को 'गलत समझा' जाने की बात कही।

NDTV के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में पता चला था कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद में खतरनाक बढ़ोतरी हुई है। इन सूचनाओं से संकेत मिलता है कि जैश और लश्कर-ए-तैयबा जैसे बड़े संगठन समन्वित नए हमलों के लिए लामबंद हो रहे हैं।

दोनों ही प्रमुख आतंकवादी समूह हैं, जिन्हें पाकिस्तानी सेना और उस देश के डीप स्टेट से फिंडिंग और सपोर्ट मिलता है, और पिछले छह महीनों में भारत में ये दोनों ही सुर्खियां में बने हुए हैं।

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