Pan-India SIR: रुटीन रिवीजन SSR छोड़ कर 12 राज्यों में SIR क्यों करा रहा चुनाव आयोग?
एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि आगामी साल के शुरुआती कुछ महीनों में पांच विधानसभाओं- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी - के चुनाव होने हैं, इसलिए चुनाव आयोग नियमित स्पेशल समरी रिवीजन (SSR) के बजाय SIR करना चाहता है। इन विधानसभाओं के चुनाव 2021 में मार्च और अप्रैल के बीच हुए थे और परिणाम 2 मई को घोषित किए गए थे। 2026 में चुनाव मई तक पूरे करने होंगे
Pan-India SIR: रुटीन रिवीजन SSR छोड़ कर 12 राज्यों में SIR क्यों करा रहा चुनाव आयोग?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार के बाद अब देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की कवायद शुरू होगी। दूसरे चरण में छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में SIR कराया जाएगा। इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव संभावित हैं। CEC ने साफ किया कि असम में वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी। असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव संभावित है।
CNN-News18 के मुताबिक, एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि आगामी साल के शुरुआती कुछ महीनों में पांच विधानसभाओं- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी - के चुनाव होने हैं, इसलिए चुनाव आयोग नियमित स्पेशल समरी रिवीजन (SSR) के बजाय SIR करना चाहता है। इन विधानसभाओं के चुनाव 2021 में मार्च और अप्रैल के बीच हुए थे और परिणाम 2 मई को घोषित किए गए थे। 2026 में चुनाव मई तक पूरे करने होंगे।
अखिल भारतीय SIR की घोषणा इस साल जून में चुनाव आयोग की ओर से की गई थी।
नियमित SSR की जगह पर घर-घर जाकर SIR लागू करके, चुनाव आयोग का लक्ष्य देश भर में ज्यादा सटीक और विश्वसनीय वोटर लिस्ट उपलब्ध कराना है।
SSR: 2025 की समय-सीमा पर एक नजर
यह ध्यान रखना जरूरी है कि SSR के बाद 2025 की फाइनल वोटर लिस्ट 6 जनवरी, 2025 को जारी की गई थी और संशोधन प्रक्रिया अगस्त 2024 में शुरू हुई थी। ड्राफ्ट 29 अक्टूबर, 2024 को जारी किया गया और दावे और आपत्तियां दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 नवंबर, 2024 तय की गई।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में, चुनाव आयोग ने कहा था कि आयोग ने वार्षिक सारांश संशोधन इस तरह से करने का निर्णय लिया है कि वोटर लिस्ट आखिरकार 25 जनवरी, 2025 को राष्ट्रीय मतदाता दिवस से बहुत पहले प्रकाशित हो जाएं।
ऐसा इसलिए किया गया, ताकि नए मतदाताओं, खासतौर से युवा मतदाताओं के लिए तैयार किए गए मतदाता पहचान पत्र (EPIC) उन्हें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर औपचारिक रूप से वितरित किए जा सकें।
SIR: संभावित समयरेखा
उम्मीद है कि चुनाव आयोग पहले चरण में SIR अभियान के लिए इन पांच विधानसभाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1 नवंबर से प्रस्तावित वोटर लिस्ट का मसौदा दिसंबर के पहले हफ्ते तक और फाइनल वोटर लिस्ट जनवरी के अंत तक जारी होने की संभावना है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि दिसंबर का महीना दावों और आपत्तियों के लिए होगा।
EC ने SSR के बजाय SIR क्यों चुना?
EC ने पूरे देश में वोटर लिस्ट की शुद्धता यानी सही जानकारी को लेकर उठे सवालों के कारण SSR की जगह SIR कराने का फैसला लिया है।
ECI को वोटर लिस्ट की शुद्धता से कोई समझौता नहीं करना है। जैसे बिहार में हुई SIR के बाद ज्यादातर राज्यों में आखिरी बार SIR 2000 के दशक की शुरुआत में हुई थी। अब कई कारण हैं कि SIR कराना जरूरी हो गया है। बिहार में SIR सफल रही और इससे ECI की साख भी बढ़ी। यहां तक कि राजनीतिक दलों ने भी ज्यादा शिकायतें या आपत्तियां नहीं कीं।
हालांकि, SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है और अगली सुनवाई 4 नवंबर को है, लेकिन EC का यह फैसला भी उसी समय से जुड़ा है, जब बिहार SIR के समय SSR कराने पर सवाल उठे थे कि SSR जनवरी में क्यों हुआ और SIR क्यों नहीं।
अधिकारियों के मुताबिक, नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने फरवरी में ही कार्यभार संभाला था, इसलिए जनवरी में SSR की प्रक्रिया को नहीं बदला जा सकता था।
विपक्ष ने भी देश के कई हिस्सों में वोटर लिस्ट की शुद्धता पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में अगर घर-घर जाकर वोटरों की दोबारा जांच होगी, तो इससे EC पर भरोसा और मजबूत होगा। सोमवार की इस घोषणा से माना जा रहा है कि ECI अब पूरे देश में घर-घर जा कर वोटर वेरिफिकेशन की कोशिश करेगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।