Parth Pawar: अजित पवार ने बेटे पार्थ के जमीन विवाद से खुद को किया अलग! फडणवीस ने बताया 'गंभीर', सब-रजिस्ट्रार निलंबित

Pune Land Row: महाराष्ट्र राजस्व विभाग ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से कथित रूप से जुड़े 300 करोड़ रुपये के भूमि सौदे को लेकर एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है। साथ ही लेनदेन की जांच के लिए एक समिति गठित की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे जमीन डील को गंभीर बताया है। अजित पवार ने विवाद से खुद को अलग कर लिया है

अपडेटेड Nov 06, 2025 पर 8:08 PM
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Pune Land Row: पुणे की 1,800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपये में बेच दी गई!

Parth Pawar Land Row: महाराष्ट्र में एक जमीन डील को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इसका कथित तौर पर कनेक्शन राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुणे में 40 एकड़ का एक प्राइम प्लॉट पार्थ पवार से कथित रूप से जुड़े कंपनी को सिर्फ 300 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। विपक्ष का दावा है कि इसकी कीमत लगभग 1,800 करोड़ रुपये थी। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इस डील पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी को कथित तौर पर माफ कर दी गई।

न्यूज 18 के मुताबिक, इस डील पर कथित तौर पर सिर्फ 500 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी दी गई। विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पार्थ पवार से जुड़े 300 करोड़ रुपये के जमीन सौदे को लेकर एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है। साथ ही इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की है। अधिकारियों ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खड़गे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर गठित जांच समिति का नेतृत्व करेंगे।

फडणवीस ने जमीन सौदे को 'प्रथम दृष्टया गंभीर' बताया है। पीटीआई के मुताबिक, विवादास्पद डील को लेकर पुणे के तहसीलदार सूर्यकांत येवाले को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इस डील के कारण विपक्ष ने सत्तारूढ़ 'महायुति' पर निशाना साधा है। इस अलायंस में बीजेपी, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना शामिल है।


अजित पवार ने खुद को किया अलग

महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजित पवार ने गुरुवार को पुणे जमीन डील को लेकर चल रहे विवाद से खुद को अलग कर लिया। उनके बेटे पार्थ पवार का नाम सामने आने पर डिप्टी सीएम ने कहा कि इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है। पवार ने कहा कि अगर किसी ने इस मामले में उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

40 एकड़ जमीन सिर्फ 300 करोड़ में बिकी

अधिकारी के अनुसार, पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में 40 एकड़ 'सरकारी महार वतन जमीन' 'अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी' को 300 करोड़ रुपये में बेची गई। इसमें पार्थ पवार भी भागीदार है। कथित तौर पर इस पर स्टांप शुल्क भी माफ कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन होने के कारण इस जमीन को किसी निजी कंपनी को नहीं बेचा जा सकता।

इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन रवींद्र बिनवाडे ने पीटीआई को बताया कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है कि सरकारी जमीन एक निजी फर्म को कैसे बेची गई। साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या मानदंडों के अनुसार छूट दी गई थी।

उन्होंने कहा, "छूट का दावा करने के लिए जमा किए गए दस्तावेजों की जांच की जाएगी। समिति यह भी देखेगी कि रजिस्ट्रेशन के दौरान किस तरह के दस्तावेज पेश किए गए थे। लेकिन तत्काल कार्रवाई के तौर पर हमने सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है, क्योंकि अगर यह सरकारी जमीन है तो रजिस्ट्रेशन नहीं होना चाहिए था।"

मुंबई सरकार के नाम पर थी जमीन

राजस्व विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि संपत्ति के एक प्रमुख दस्तावेज, '7/12 एक्सट्रैक्ट' में जमीन 'मुंबई सरकार' के नाम पर है। पार्थ पवार के अलावा दिग्विजय पाटिल इस कंपनी में सह-साझेदार हैं। उनके नाम पर ही रजिस्ट्रेशन हुआ है।

सीएम का बयान

पीटीआई के मुताबिक सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "प्रथम दृष्टया, मामला गंभीर लग रहा है। मैंने संबंधित विभागों से मामले से जुड़ी सारी जानकारी मंगवा ली है। जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मैं पूरी जानकारी मिलने के बाद ही इस बारे में और आगे की कार्रवाई के बारे में बता पाऊंगा।"

21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी माफ!

आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार के अनुसार, पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी ने कथित तौर पर जमीन लगभग 300 करोड़ रुपये में खरीदी। जबकि उसकी मार्केट रेट काफी ज्यादा थी। उन्होंने यह भी दावा किया, "इस सौदे पर 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी माफ कर दी गई।"

राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सुबह कहा था कि उनका विभाग शिकायत मिलने के बाद ही कथित जमीन सौदे की जांच करेगा। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने उन्हें कथित सौदे के बारे में जानकारी देने के लिए फोन किया था। वह 11 नवंबर तक उनके पास लिखित शिकायत दर्ज कराएंगी।

विपक्ष हुआ हमलावर

जमीन सौदे को लेकर विपक्ष ने बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने इस सौदे की न्यायिक जांच की मांग करते हुए दावा किया कि यह कानून का उल्लंघन करके किया गया है। उन्होंने कहा कि सौदे से जुड़ी फाइल सरकारी विभागों में रॉकेट की गति से आगे बढ़ी।

उन्होंने दावा किया, "कुछ ही घंटों में उद्योग निदेशालय ने न केवल कंपनी को आईटी पार्क और डेटा सेंटर के लिए जमीन के ट्रांसफर को मंजूरी दे दी। बल्कि 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी भी माफ कर दी।" वडेट्टीवार ने कहा, "उपमुख्यमंत्री अजित पवार अक्सर सवाल करते हैं कि किसानों को कब तक मुफ्त में चीजें मिलेंगी। उन्होंने अब अपने बेटे की कंपनी के लिए मुफ्त जमीन और कर माफी सुनिश्चित की है।"

शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि निजी कंपनी द्वारा खरीदी गई जमीन की कीमत 1,800 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने 22 अप्रैल को एक आईटी पार्क बनाने का प्रस्ताव पारित किया और "एक लाख रुपये की पूंजी" होने के बावजूद सरकार को प्रस्ताव सौंपा। दानवे ने यह भी आरोप लगाया कि यह सौदा मात्र 27 दिनों में पूरा हो गया। उद्योग विभाग ने स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दिया।

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