'टेस्ट मैच नहीं, वनडे', 2001 में ऐसे शुरू हुई PM मोदी की गुजरात यात्रा

PM Modi Birthday: कच्छ भूकंप ने लगभग 10,000 लोगों की जान ले ली थी और जनजीवन तहस-नहस हो गया था। राहत कार्य लड़खड़ा रहा था और लोगों का गुस्सा उबल रहा था। भाजपा साबरमती और साबरकांठा उपचुनाव हार गई थी। यह उस राज्य के लिए एक बड़ा झटका था, जिसे अक्सर संघ की "प्रयोगशाला" कहा जाता है

अपडेटेड Sep 17, 2025 पर 6:09 PM
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PM Modi Birthday: 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते नरेंद्र मोदी

अक्टूबर 2001 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात आगमन ने न केवल राज्य के शासन को, बल्कि भाजपा की किस्मत भी बदल दी। यह वह समय था, जब गुजरात राजनीतिक और प्रशासनिक उथल पुथल से जूझ रहा था।

कच्छ भूकंप ने लगभग 10,000 लोगों की जान ले ली थी और जनजीवन तहस-नहस हो गया था। राहत कार्य लड़खड़ा रहा था और लोगों का गुस्सा उबल रहा था। भाजपा साबरमती और साबरकांठा उपचुनाव हार गई थी। यह उस राज्य के लिए एक बड़ा झटका था, जिसे अक्सर संघ की "प्रयोगशाला" कहा जाता है।

इसी पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) मोदी जी को गांधीनगर जाकर कार्यभार संभालने के लिए कहा। मोदी जी स्वयं अनिच्छुक थे, लेकिन 7 अक्टूबर, 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।


उस दिन उनके ये शब्द हमारी स्मृतियों में हमेशा के लिए अंकित हो गए, "मैं यहां टेस्ट मैच खेलने नहीं आया हूं। मैं एक वन-डे मैच खेलने आया हूं।"

इस पंक्ति की तात्कालिकता ने आगे की राह तय कर दी।

हालांकि, यह पहली बार नहीं था, जब मोदी जी राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव करते नजर आए।

1987 में, अहमदाबाद नगर निगम में भाजपा की जीत के रणनीतिकार के रूप में, उन्होंने गुजरात के सबसे बड़े शहर पर कांग्रेस की पकड़ को तोड़ा। उस जीत ने, जिसने स्थानीय राजनीति पर कांग्रेस की पकड़ को कमजोर कर दिया, भाजपा को 67 सीटें दीं, जबकि कांग्रेस को 30 सीटें मिलीं। यह उस राज्य में एक नाटकीय बदलाव था, जहां कांग्रेस ने 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में रिकॉर्ड 149 विधानसभा सीटें जीती थीं।

फिर भी, 2000 तक, भाजपा की संगठनात्मक कमजोरियां सामने आने लगीं। मोदी जी का काम सिर्फ सरकार चलाना नहीं था, बल्कि पार्टी की स्थिति को फिर से मजबूत करना भी था।

मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने तेजी से काम किया

वे कर्मयोगी शासन का विचार लाए और मंत्रियों और विधायकों में अनुशासन और सेवा की भावना का संचार किया। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल को मैनेजमेंट ट्रेनिंग के लिए IIM अहमदाबाद भेजा, जो उस समय अनसुना था, और खुद भी उसके सेशन में शामिल हुए।

एक मुख्यमंत्री के रूप में, मोदी जी ने शासन को एक मिशन की तरह महसूस कराया, न कि एक दिनचर्या की तरह।

सबसे खास बात उनकी कार्यशैली थी। मोदी जी ने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। उनके कार्यकाल के दौरान ही गुजरात भारत का पहला राज्य बना, जिसने हर घर में 24 घंटे बिना रुकावट बिजली सप्लाई दी। यह एक ऐसा काम था, जिसे कई लोग असंभव मानते थे।

2001 के विनाशकारी दौर के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात को तेजी, अनुशासन और मिशन मोड से जोश के साथ दोबारा खड़ा किया। नजदीक से देखने वालों के लिए यह साफ था कि यह उनकी बड़ी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत है- एक ऐसी राह, जो उन्हें गांधीनगर से दिल्ली तक लेकर गई।

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