Operation Sindoor Debate in Lok Sabha: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) की सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार (28 जुलाई) को लोकसभा में कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने के लिए कई विपक्षी नेताओं पर विश्वास दिखाकर बड़प्पन का परिचय दिया था। सुप्रिया ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में विशेष चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर उनके बयान को लेकर पलटवार किया। सूर्या ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर पहले की कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी सूर्या ने लाखों जवानों का अपमान किया कि कांग्रेस की सरकारों में सैन्य बलों को प्रोत्साहित नहीं किया गया। सुप्रिया ने कहा, "तेजस्वी जो इतिहास हमें पढ़ा रहे थे, वो उन्हें खुद पढ़ना चाहिए।" उन्होंने भारतीय सेना की कई विजय गाथाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब देश का सवाल आता है तो पहले देश, उसके बाद राज्य और पार्टी आती है। सुप्रिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का बड़प्पन था कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को विदेश गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का विश्वास दिखाया। यही सशक्त लोकतंत्र है।
सुले ने कहा, "जब देश की बात आती है, तो देश पहले आता है, फिर राज्य, फिर पार्टी, फिर परिवार... जब हमें किरेन रिजिजू (संसदीय कार्य मंत्री) का फोन आया, तो उन्होंने मुझे फोन पर बस इतना कहा कि सुप्रिया, आपको देश के लिए 10 दिन देने होंगे। यह प्रधानमंत्री की महानता थी कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने के लिए विपक्षी नेताओं पर विश्वास दिखाया। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले कहा कि कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष पूरी ताकत के साथ नरेंद्र मोदी सरकार के साथ खड़ा रहेगा।"
उनके मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सबसे पहले कांग्रेस ने कहा था कि वह और सारे विपक्षी दल मोदी सरकार के साथ खड़े हैं। सुप्रिया ने कहा कि जब तक पहलगाम के आतंकवादी पकड़े नहीं जाते हैं, तब तक न्याय नहीं होगा।
लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, "विपक्ष के लोग पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे। मुझे लगता है कि उनका यह प्रश्न हमारी राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता।’"
रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने एक बार भी हमसे यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए? यदि उन्हें सवाल पूछना ही है तो यह पूछना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया, तो उसका जवाा है 'हां'।
उन्होंने कहा, "मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपको सवाल पूछना है तो यह पूछिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो उसका उत्तर है 'हां'। आपको सवाल पूछना है तो यह पूछिए कि जिन आतंकियों ने हमारी बहनों, हमारी बेटियों का सिंदूर मिटाया, क्या हमारी सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर में उन आतंकियों के आकाओं को मिटाया तो इसका उत्तर है हां...।"
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए और यह संख्या अधिक भी हो सकती है। वहीं, पहलगाम हमले के बाद भारत को विदेश से समर्थन नहीं मिलने के विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से पाकिस्तान और तीन अन्य देशों को छोड़कर सभी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था।
'ऑपरेशन सिंदूर' विषय पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए जयशंकर ने पाकिस्तान को चीन के समर्थन पर विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी 60 साल से कांग्रेस के समय से चल रही है।
विदेश मंत्री ने सदन में कहा, "पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना जरूरी था। हमारी सीमाएं लांघी गईं तो यह संदेश देना जरूरी था कि परिणाम अच्छे नहीं होंगे।" उन्होंने हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने और अटारी सीमा बंद करने जैसे कूटनीतिक निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि इन शुरुआती कदमों के बाद भारत का जवाब रुका नहीं।
उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक विमर्श और कूटनीतिक माहौल बनाकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी ‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। उन्होंने कहा कि वह अपने लोगों की रक्षा करेगा।
जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य होने के नाते उस मंच पर इस संबंध में समर्थन पाना भारत के लिए कठिन था। लेकिन सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान को देखें तो इसमें कड़े से कड़े शब्दों में पहलगाम हमले की निंदा की गई।