पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में विरोध प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई की भारत ने कड़ी आलोचना की है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) में हो रहे विरोध और अशांति, इस्लामाबाद द्वारा दशकों से किए जा रहे शोषण और दमन का नतीजा है। भारत ने दोहराया कि यह क्षेत्र उसका अभिन्न हिस्सा है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने प्रदर्शनकारियों पर हुई हिंसक कार्रवाई की निंदा की और पाकिस्तान को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराने की मांग की।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों से विरोध प्रदर्शनों की खबरें आई हैं, जहां पाकिस्तानी सेना ने निर्दोष नागरिकों पर बर्बर कार्रवाई की है। मंत्रालय का कहना है कि यह स्थिति पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और पीओके से लगातार संसाधनों की लूट का स्वाभाविक नतीजा है। भारत ने साफ कहा कि पाकिस्तान को उसके ज़बरन और अवैध कब्ज़े के साथ-साथ गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
पीओके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन
बता दें कि, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) में हाल के वर्षों का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) नामक गठबंधन, जिसमें व्यापारी, वकील और नागरिक संगठन शामिल हैं, और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच बातचीत नाकाम होने के बाद हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए। मुजफ़्फराबाद, मीरपुर, कोटली, रावलकोट और नीलम घाटी जैसे कई इलाकों में लोगों ने प्रदर्शन किया। एएसी ने "बंद और चक्का जाम" हड़ताल का ऐलान किया, जिससे आम जनजीवन ठप हो गया। एएसी के नेता शौकत नवाज़ मीर ने कहा, “हम किसी संस्था के ख़िलाफ़ नहीं हैं। हमारी लड़ाई उन बुनियादी अधिकारों के लिए है जिन्हें हमारे लोगों से पिछले 70 सालों से छीना जा रहा है। अब बहुत हो गया।”
10 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और दर्जनों घायल हुए हैं। पूरे क्षेत्र में बाज़ार बंद हैं, सार्वजनिक परिवहन ठप है और कड़ी सुरक्षा के बीच माहौल तनावपूर्ण है। प्रदर्शनकारियों का आंदोलन 38-सूत्रीय मांगों पर आधारित है, जिसे वे दशकों की अनदेखी और टूटे वादों का प्रतीक मानते हैं। इन मांगों में ज़्यादातर लोगों की रोजमर्रा की ज़रूरतों से जुड़ी बातें शामिल हैं, जैसे सस्ती दरों पर आटा, चीनी और घी उपलब्ध कराना, उचित बिजली बिल देना और स्थानीय जलविद्युत से क्षेत्र को लाभ पहुंचाना। साथ ही कुछ मांगें राजनीतिक ढांचे से जुड़ी हैं, जिनमें पाकिस्तान में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधायी सीटों को खत्म करना, उच्च वर्ग को मिले विशेषाधिकारों पर रोक लगाना और भ्रष्टाचार व राजनीतिक प्रोटेक्शन से निपटने के लिए न्यायपालिका में सुधार करना शामिल है।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।