प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानवीय पहलू उजागर करने वाली ये हैं 5 कहानियां

गुजरात के मोरबी में 1979 में मच्छू बांध टूटने की वजह से करीब 25,000 लोगों को मौत हो गई थी। तब पीएम मोदी राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल नहीं हुए थे। उन्होंने तुरंत राहत कार्य शुरू करने के लिए संघ के स्वयंसेवकों की एक फौज तैयार की

अपडेटेड Sep 17, 2025 पर 6:03 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानवीय पहलू उजागर करने वाली ये हैं 5 कहानियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 75 साल के हो गए। दुनिया उन्हें देश के प्रधानमंत्री के रूप में जानती है। लेकिन, ऐसी कई कहानियां हैं, जो उनके मानवीय पहलू को उजागर करती हैं। इनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते। उनके व्यक्तित्व का मानवीय पहलू सहज ही लोगों का दिल जीत लेता है। आइए ऐसी कुछ कहानियों के बारे में जानते हैं:

1. मच्छू बांध टूटने के बाद राहत कार्य (1979)

गुजरात के मोरबी में 1979 में मच्छू बांध टूटने की वजह से करीब 25,000 लोगों को मौत हो गई थी। तब पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल नहीं हुए थे। उन्होंने तुरंत राहत कार्य शुरू करने के लिए संघ के स्वयंसेवकों की एक फौज तैयार की। इस फौज ने लाशों की अंतिम क्रिया करने, गांवों का पुनर्निर्माण करने और पानी की आपूर्ति दोबारा शुरू करने का काम किया। पीएम मोदी ने राहत कार्य के लिए फंड जुटाने के वास्ते पुर पीड़ित सहायता समिति बनाई। इस दौरान सभी धर्म के लोगों को सहायता उपलब्थ कराई।

2. 2014 में चुनाव जीतने के बाद मां से मुलाकात


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 मई, 2014 को लोकसभा चुनावों में भाजपा का निर्णायक जीत दिलाई। लेकिन, जीत के जश्न में शामिल होने की जगह वह सबसे पहले अपनी मां से मिलने गांधीनगर पहुंचे। वहां अपनी मां का आशीर्वाद लिया। उनकी मां की सादगी को देखर खासकर विदेशी मीडिया अंचभित हो गई। उनकी मां अपने छोटे बेटे के साथ एक साधारण घर में रहती थीं।

3. रिटायर्ड स्कूल शिक्षका के लिए लिची का तोहफा

2018 में मेरी मां जो एक रिटायर्ड स्कूल शिक्षका थीं, उन्हें पीएम मोदी ने आमंत्रित किया था। उन्हें डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी थी। ठीक 10 बजे पीएम मोदी एक सहायक के साथ पहुंचे। सहायक के हाथ में एक बॉक्स था। उसे मेरी मां के सामने टेबल पर रख दिया गया। पीएम मोदी ने कहा, "मैं इसे आपके लिए लाया हूं।" बाक्स के अंदर देहरादून से मंगाई ताजा लिची थी। प्रधानमंत्री ने न सिर्फ मां को लिची भेंट किए बल्कि उन्होंने देर तक उनसे बातें भी की। विदा लेने से पहले उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, "मां, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं देश के लिए अच्छे काम कर सकूं।"

4. मुख्यमंत्री के रूप में पहला दिन (2001)

नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर को, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। शपथ लेने के ठीक बाद उन्होंने जो बातें कही, उसने लोगों का दिल जीत लिया। इससे उनके शासन का स्वरूप जाहिर हो गया। उन्होंने कहा कि मैं यहां टेस्ट मैच खेलने नहीं आया हूं, मैं यहां वन डे मैच खेलने के लिए आया हूं। उन्होंने कर्मयोगी ट्रेनिंग कैंप की शुरुआत की। मंत्रियों के प्रशिक्षण के लिए आईआईएम-अहमदाबाद की सेवा ली। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।

5. देशभक्ति (1960 का दशक)

देशभक्ति की भावना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कूट-कूट कर भरी है। ऐसा बचपन से है। 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह एक किशोर थे। वह तब रेलवे स्टेशन पर जाकर ट्रेनों में सवार जवानों की मदद करते थे। 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह मेहसाणा रेलवे स्टेशन पर जाकर सैनिकों को चाय पिलाते थे। वह हर साल दिवाली देश के जवानों के साथ मनाते है। इससे देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के प्रति उनके सम्मान का पता चलता है।

(ब्रजेश कुमार एक प्रख्यात पत्रकार हैं, जिन्होंने 30 साल तक भारतीय राजनीति को कवर किया है। अभी वह नेटवर्क18 में ग्रुप एडिटर हैं।)

Brajesh Kumar Singh

Brajesh Kumar Singh

First Published: Sep 16, 2025 10:16 PM

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