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RSS Chief: हिंदू नहीं तो 'भारतीय' कहो', RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को बताया 'प्राचीन हिंदू राष्ट्र'

RSS Centenary Celebrations: उन्होंने वैश्विक संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'दुनिया एक-दूसरे पर निर्भरता के साथ काम करती है। कोई भी देश अकेले जीवित नहीं रह सकता। उन्होंने चेतावनी दी कि यह निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए

अपडेटेड Oct 02, 2025 पर 12:22 PM
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RSS चीफ ने कहा कि हमें स्वदेशी पर भरोसा करने और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है

RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार, 2 अक्टूबर को संगठन की वार्षिक विजयादशमी रैली में बोलते हुए एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो लोग खुद को 'हिंदू' कहलाने में असहज महसूस करते हैं, वे खुशी से खुद को 'भारतीय' कह सकते हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि 'हमें राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से कोई समस्या नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से हम हमेशा से एक प्राचीन हिंदू राष्ट्र रहे हैं।' उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब सत्तारूढ़ भाजपा का वैचारिक संरक्षक माना जाने वाला यह संगठन 27 सितंबर 1925 को केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा नागपुर में स्थापित होने के बाद अपने 100 साल पूरे कर रहा है।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को संगठन के वार्षिक विजयादशमी संबोधन में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैरिफ के प्रभाव पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। सत्तारूढ़ भाजपा का वैचारिक स्रोत माने जाने वाले RSS के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बोलते हुए, RSS प्रमुख ने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, साथ ही उन्होंने देश की सुरक्षा और एकता पर भी बात की।

टैरिफ की टेंशन पर स्वदेशी का दिया मंत्र


मोहन भागवत ने कहा कि अमेरिका ने जो नई टैरिफ नीति लागू की है, वह उन्होंने अपने राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर की है, लेकिन इसका असर सभी पर महसूस किया जा रहा है। उन्होंने वैश्विक संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'दुनिया एक-दूसरे पर निर्भरता के साथ काम करती है। इसी तरह किन्हीं भी दो राष्ट्रों के बीच संबंध बने रहते हैं। कोई भी देश अकेले जीवित नहीं रह सकता।' हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि 'यह निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए।' भागवत ने कहा कि हमें स्वदेशी पर भरोसा करने और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने सभी मित्र राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह हमारी इच्छा से होना चाहिए और बिना किसी मजबूरी के।

पहलगाम हमले के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

RSS प्रमुख ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 भारतीयों की जान चली गई थी। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने धर्म पूछकर लोगों को मारा था। उन्होंने इस हमले के बाद सरकार और सशस्त्र बलों द्वारा की गई कार्रवाई की प्रशंसा की। भागवत ने कहा कि राष्ट्र इस आतंकी हमले पर शोकाकुल और क्रोधित था, लेकिन हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने पूरी तैयारी के साथ करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का समर्पण, सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज की एकता ने देश में एक आदर्श माहौल पेश किया।

उन्होंने कहा कि पहलगाम घटना और उसके बाद भारत के ऑपरेशन के बाद विभिन्न देशों की भूमिका ने हमारे सच्चे मित्रों को उजागर किया। भागवत ने यह भी चेतावनी दी कि भले ही भारत सभी देशों के प्रति मित्रतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाता हो, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए उसे सतर्क और मजबूत रहने की आवश्यकता है। उन्होंने देश के भीतर मौजूद 'असांविधानिक तत्वों' पर भी चिंता व्यक्त की, जो देश को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं।

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