Samay Raina News: दिव्यांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाने से जुड़े एक मामले में यूट्यूबर और स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना मुश्किल में फंस गए हैं। दिव्यांगों का मजाक उड़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (27 नवंबर) को कंटेंट क्रिएटर समय रैना और चार दूसरे कॉमेडियन को निर्देश दिया कि वे हर महीने कम से कम दो फंडरेजिंग इवेंट करें, ताकि दिव्यांग लोगों के इलाज के लिए बनाए गए फंड में योगदान दिया जा सके। इसमें स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से पीड़ित लोग भी शामिल होंगे।
'बार एंड बेंच' के मुताबिक, यह आदेश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने गुरुवार को दिया। पीठ ने क्योर SMA इंडिया फाउंडेशन की एक याचिका पर सुनवाई की। इसमें दिव्यांग लोगों की गरिमा का उल्लंघन करने वाले ऑनलाइन कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
रैना और दूसरे कॉमेडियन विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर (सोनाली आदित्य देसाई) और निशांत जगदीश तंवर ने कोर्ट के पहले के निर्देशों का पालन करते हुए अपनी मर्जी से ऐसे इवेंट करने की पेशकश की थी। उन्होंने अपने आउटरीच के हिस्से के तौर पर दिव्यांग लोगों की 'सक्सेस स्टोरीज' को हाईलाइट करने की भी इजाजत मांगी।
इन सबमिशन का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कॉमेडियन का काम है कि वे दिव्यांग लोगों को अवेयरनेस और फंडरेजिंग की कोशिशों के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर शामिल होने के लिए मनाएं। पीठ ने कहा, "हम यह रेस्पोंडेंट 6 से 10 पर छोड़ते हैं कि वे दिव्यांग लोगों को अपने प्लेटफॉर्म पर मनाएं और बुलाएं ताकि वे SMA से पीड़ित लोगों सहित दिव्यांगों को समय पर इलाज देने के लिए फंड जुटाने के मकसद को प्रमोट कर सकें।"
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, "हमें भरोसा है कि अगर रेस्पोंडेंट 6 से 10 अपनी अचीवमेंट्स दिखाने में ईमानदारी दिखाते हैं, तो वे अपने मकसद की ज्यादा पब्लिसिटी के लिए भी प्लेटफॉर्म पर आएंगे।" शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि ऐसे आउटरीच के काम तुरंत शुरू हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि अगली तारीख पर मामले की सुनवाई से पहले ऐसे कुछ यादगार इवेंट्स होंगे। ऐसे दो प्रोग्राम महीने में दो बार होने चाहिए।"
आरोपों में कहा गया था कि कॉमेडियन ने विकलांगता और SMA मरीजों पर पड़ने वाले भारी पैसे के बोझ के बारे में बेमतलब की बातें की थीं। अपने शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' के दौरान रैना ने दो महीने के SMA मरीज का जिक्र किया था, जिसे 16 करोड़ रुपये के इंजेक्शन की जरूरत थी। यह एक बार की जीन थेरेपी जोल्गेन्स्मा की कीमत थी। इसके बाद रैना ने एक मजाक में कहा था कि अगर किसी मां के बैंक अकाउंट में अचानक इतनी बड़ी रकम आ जाए तो वह अपने पति को कैसे देखेगी।
द क्योर SMA फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने कोर्ट को बताया कि इस तरह का कंटेंट उन परिवारों की मुश्किलों को कमजोर बनाता है जो जान बचाने वाले इलाज के लिए पूरी तरह से सरकारी पैसे जुटाने पर निर्भर हैं। फाउंडेशन की मुख्य याचिका में यह भी बताया गया है कि SMA दवा की बहुत ज्यादा कीमत इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से पीड़ित बच्चों के जीवन और सम्मान के अधिकार को कैसे खतरा पहुंचाती है। इससे पहले अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने रैना और दूसरे कॉमेडियन को अपनी बातों के लिए YouTube और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सबके सामने माफी मांगने का निर्देश दिया था।