'संचार साथी ऐप अनिवार्य नहीं, फोन से कर सकते हैं डिलीट' विपक्ष के बवाल के बीच केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री सिंधिया ने दी सफाई
Sanchar Sathi App: इससे पहले सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम डुप्लिकेट और नकली IMEI नंबरों पर रोक लगाने के लिए जरूरी है, जिनसे "राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर खतरा" पैदा करते हैं। हालांकि, विपक्ष ने इसे लोगों की प्राइवेसी में सरकार का खुला दखल करार दिया और आरोप लगाया कि इससे केंद्र लोगों की जासूसी करना चाहता है
केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ की संचार साथी ऐप फोन में रखना अनिवार्य नहीं है
केंद्र सरकार के सभी नए मोबाइल हैंडसेट पर 'संचार साथी' एप्लीकेशन को अनिवार्य करने के फैसले को लेकर छिड़े विवाद के बाद अब केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री ने साफाई दी कि 'संचार साथी' अनिवार्य नहीं है और उसे आप डिलीट कर सकते हैं। इससे पहले सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम डुप्लिकेट और नकली IMEI नंबरों पर रोक लगाने के लिए जरूरी है, जिनसे "राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर खतरा" पैदा करते हैं। हालांकि, विपक्ष ने इसे लोगों की प्राइवेसी में सरकार का खुला दखल करार दिया और आरोप लगाया कि इससे केंद्र लोगों की जासूसी करना चाहता है।
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद के बाहर मीडिया से कहा, "अगर आप संचार साथी नहीं चाहते हैं, तो आप इसे हटा सकते हैं। यह वैकल्पिक है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस ऐप को सभी तक पहुंचाएं। इसे अपने डिवाइस में रखना या न रखना, यूजर पर निर्भर है।"
#WATCH | Delhi | "... If you don't want Sanchar Sathi, you can delete it. It is optional... It is our duty to introduce this app to everyone. Keeping it in their devices or not, is upto the user...," says Union Minister for Communications Jyotiraditya Scindia. pic.twitter.com/iXzxzfrQxt
दरअसल दूरसंचार विभाग ने मोबाइल हैंडसेट बनाने और इंपोर्टर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि 90 दिन के भीतर सभी नए डिवाइस में धोखाधड़ी की सूचना देने वाला ऐप ‘संचार साथी’ पहले से लगा हो।
पिछले महीने 28 नवंबर के निर्देश के अनुसार, आदेश जारी होने की तारीख से 90 दिन के बाद भारत में बने या इंपोर्ट होने वाले सभी मोबाइल फोन में यह ऐप होना अनिवार्य होगा।
आदेश में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार भारत में उपयोग में लाए जाने वाले मोबाइल हैंडसेट के प्रत्येक विनिर्माता और आयातक को निर्देश देती है। इन निर्देशों के जारी होने के 90 दिन के भीतर, यह सुनिश्चित करें कि दूरसंचार विभाग की ओर से निर्दिष्ट संचार साथी मोबाइल एप्लिकेशन, भारत में इस्तेमाल के लिए बनाए गए या इंपोर्ट किए गए सभी मोबाइल हैंडसेट में पहले से लगा हो।’’
अधिकारियों ने क्या बताया?
इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि भारत में तेजी से बढ़ते सेकेंड-हैंड फोन बाजार और चोरी या ब्लैकलिस्ट किए गए डिवाइस की आसानी रिसेल के कारण आतंकवाद से संबंधित या साइबर क्राइम की जांच में फोन का पता लगाने के लिए एक विश्वसनीय सिस्टम बनाना जरूरी हो गया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, छेड़छाड़ किए गए या क्लोन किए गए IMEI नंबर वाले फोन टेलीकॉम नेटवर्क पर एक ही समय में कई जगहों पर दिखाई दे सकते हैं, जिससे संदिग्धों की पहचान में बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।
वहीं अधिकारियों ने बताया कि नकली IMEI नंबर अपराधियों को ट्रैकिंग से बचने का मौका देते हैं, जबकि चोरी हुए डिवाइस के बेखबर खरीदार आपराधिक जिम्मेदारी के शिकार हो जाते हैं। सरकार का तर्क है कि संचार साथी ऐप IMEI नंबर वैरिफाई करने, चोरी हुए फोनों को ब्लॉक करने और साइबर दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है। सरकार इस बात पर जोर देती है कि यह ऐप "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, जासूसी के लिए नहीं।"
विपक्ष ने लगाए जासूसी करने के आरोप
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कदम की तीखी आलोचना की है और इसे असंवैधानिक और सरकारी निगरानी को बढ़ावा देने की कोशिश बताया है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस आदेश की तुलना "बिग बॉस सर्विलांस" से करते हुए कहा कि सरकार "गुप्त तरीकों से पर्सनल फोनों में सेंध लगाने" की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी कोशिशों का "विरोध किया जाएगा," और कहा कि मजबूत शिकायत निवारण सिस्टम बनाने के बजाय, IT मंत्रालय "निगरानी सिस्टम बना रहा है।"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि यह एक ‘जासूसी ऐप’ है और सरकार देश को तानाशाही में बदलने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से कहा, "संचार साथी एक जासूसी ऐप है और स्पष्ट रूप से यह हास्यास्पद है। नागरिकों को निजता का अधिकार है। हर किसी को निजता का यह अधिकार होना चाहिए कि वह सरकार की नजर के बिना परिवार और दोस्तों को मैसेज भेज सके।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह सिर्फ टेलीफोन पर ताक-झांक करना नहीं है। वे (सरकार) इस देश को हर रूप में तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद नहीं चल रही है क्योंकि सरकार किसी भी विषय पर चर्चा करने से इनकार कर रही है। विपक्ष पर आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन वे किसी भी चीज़ पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं और यह लोकतंत्र नहीं है।’’