कारवार में वन विभाग के अधिकारियों ने एक प्रवासी समुद्री पक्षी को पकड़ा है, जिसके ऊपर एक GPS ट्रैकिंग डिवाइस लगा हुआ था। बड़ी बात ये है कि यह डिवाइस चीन में बना हुआ था। इस खोज के बाद वन विभाग, स्थानीय पुलिस और नौसेना अधिकारियों ने मिलकर जांच शुरू की। यह पक्षी कारवार शहर के थिम्मक्का गार्डन के पीछे देखा गया था। स्थानीय लोगों ने सीगल की पीठ पर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंधा हुआ देखा, जिसके बाद वन विभाग के कर्मियों ने उसे पकड़ लिया।
जांच करने पर सामने आया कि GPS ट्रैकर पर एक ईमेल लिखा था, जो "पर्यावरण विज्ञान केंद्र, चाइनीज साइंस एकेडमी।" का था। इसमें एक मैसेज भी मिला था, जिसमें पक्षी को ढूंढने वाले किसी भी व्यक्ति से दिए गए ईमेल ID पर संपर्क करने की अपील की गई थी।
कोई जोखिम नहीं लेना चाहते अधिकारी
शुरुआती आकलन से पता चलता है कि इस डिवाइस को शायद चीन के शोधकर्ताओं ने पक्षी के माइग्रेशन पैटर्न, खान-पान की आदतों और उसके आने-जाने के रूट की निगरानी के लिए लगाया था। इस तरह की निगरानी अंतरराष्ट्रीय पक्षी अनुसंधान (International Avian Research) में एक आम प्रक्रिया है।
हालांकि, कारवार के एक रणनीतिक तटीय इलाका है, क्योंकि यहां नेवी के प्रमुख बेस भी हैं, इसलिए स्थानीय अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।
ट्रैकिंग प्रोजेक्ट की सच्चाई का पता लगाया जा रहा है
इस पक्षी को मरीन फॉरेस्ट डिवीजन के दफ्तर में रखा गया है और उसकी देखभाल वेटरनरी डॉक्टर (पशु चिकित्सक) कर रहे हैं, ताकि उसकी सेहत ठीक रहे। करवार सिटी पुलिस और नेवल पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह डिवाइस असली है या नहीं और इससे कोई सुरक्षा खतरा तो नहीं है।
वन विभाग के अधिकारी कथित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ट्रैकिंग प्रोजेक्ट की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
जांच जारी रहने तक सीगल को सुरक्षित वातावरण में रखा गया है। अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कारवार में पक्षी का आना किसी सामान्य माइग्रेशन रूट के जरिए हुआ या वो अचानक ही आ गया।
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