Get App

Shibu Soren: पिता की हत्या के बाद बन गए थे आदिवासियों के योद्धा! जानिए कैसा रहा 'दिशोम गुरु' का सियासी सफर

Shibu Soren: 1973 में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की। इस पार्टी का मुख्य लक्ष्य झारखंड को बिहार से अलग करके एक नया राज्य बनाना था। यह आंदोलन कई सालों तक चला और इस दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड Aug 04, 2025 पर 1:24 PM
Shibu Soren: पिता की हत्या के बाद बन गए थे आदिवासियों के योद्धा! जानिए कैसा रहा 'दिशोम गुरु' का सियासी सफर
विधानसभा के साथ-साथ शिबू सोरेन का दबदबा लोकसभा एक चुनावों में भी था। उन्होंने 1980 से लेकर 2000 के दशक तक दुमका लोकसभा सीट से कई बार जीत हासिल की

Dishom Guru: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा(JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज 81 साल की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और उनका इलाज दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में चल रहा था। शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। उनके समर्थक प्यार से उन्हें 'दिशोम गुरु' यानी 'देश के गुरु' कहते थे। उनका जीवन आदिवासी अधिकारों की लड़ाई, संघर्ष और झारखंड को अलग राज्य बनाने के आंदोलन से जुड़ा रहा है। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। उनके पिता की हत्या के बाद, उन्होंने कम उम्र में ही सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी, जिसने उन्हें आगे चलकर एक बड़े नेता के रूप में स्थापित किया।

महाजन विरोधी आंदोलन से शुरू हुआ संघर्ष का सफर

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ, जब उन्होंने महाजन विरोधी आंदोलन चलाया। इस आंदोलन का मकसद आदिवासियों को सूदखोरों के चंगुल से छुड़ाना था, जो उन्हें ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज देकर उनकी जमीनें हड़प लेते थे। इस आंदोलन ने उन्हें आदिवासियों के बीच एक मजबूत नेता के रूप में पहचान दिलाई।

झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए ही की JMM की स्थापना

सब समाचार

+ और भी पढ़ें