Delhi Blast Conspiracy: शोपियां का मुफ्ती इरफान अहमद गिरफ्तार, डॉक्टरों को कट्टरपंथी बना ब्लास्ट का साजिश रचने का है आरोप

Shopian Imam Irfan Ahmad Wagah: इरफान अहमद 19 अक्टूबर को नौगाम के बुनपोरा में जैश-ए-मोहम्मद के निशान वाले पोस्टर दिखाई देने के बाद रडार पर आया था। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों ने इमाम को पोस्टर बांटने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाना

अपडेटेड Nov 12, 2025 पर 11:57 AM
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काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) और श्रीनगर पुलिस ने संयुक्त रूप से अहमद के नौगाम स्थित आवास पर छापा मारा और उसे उसकी पत्नी के साथ हिरासत में ले लिया

Delhi Blast: दिल्ली के लाल किला कार विस्फोट और हरियाणा के फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त होने के मामले में चल रही जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के शोपियां से एक इमाम इरफान अहमद को बुधवार, 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी एक बहु-एजेंसी आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में एक बड़ा डेवलपमेंट है, जिसने पेशेवर डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाने वाले एक कथित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसे अधिकारी 'व्हाइट-कॉलर आतंकवाद' बता रहे हैं।

मुफ्ती इरफान अहमद कौन है?

काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) और श्रीनगर पुलिस ने संयुक्त रूप से अहमद के नौगाम स्थित आवास पर छापा मारा और उसे उसकी पत्नी के साथ हिरासत में ले लिया। अहमद श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में एक पूर्व पैरामेडिकल कर्मचारी रहा है और वह नौगाम में इमाम के रूप में भी सेवा दे रहा था। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि उसने डॉक्टरों और अन्य शिक्षित युवाओं को चरमपंथी विचारधारा की ओर मोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


उसकी पत्नी पर भी फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़ी गिरफ्तार डॉक्टर डॉ. शाहीन के साथ मिलकर काम करने का संदेह है, जिसने कथित तौर पर प्रतिबंधित समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के तहत एक महिला विंग बनाने में मदद की। उनके घर से जब्त किए गए फोन और डिजिटल उपकरणों में ऐसे संदेश और कट्टरपंथी निर्देश मिले हैं, जिनमें अनुयायियों से चरमपंथी उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया था।

दिल्ली ब्लास्ट संदिग्धों से लिंक

जांचकर्ताओं ने अहमद के नेटवर्क को लाल किला विस्फोट के कथित मास्टरमाइंड डॉ. मोहम्मद उमर के सहयोगी डॉ. मुजम्मिल शकील से जोड़ा है। फरीदाबाद के धौज स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाला शकील कथित तौर पर इमाम के स्वामित्व वाले कमरों से ऑपरेट करता था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि अहमद मुजम्मिल और उमर दोनों के साथ करीबी संपर्क बनाए रखता था, उनके समन्वय और वैचारिक समर्थन में सहायता करता था।

कैसे आया जांच एजेंसियों को रडार पर?

अहमद 19 अक्टूबर को नौगाम के बुनपोरा में जैश-ए-मोहम्मद के निशान वाले पोस्टर दिखाई देने के बाद रडार पर आया था। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों ने इमाम को पोस्टर बांटने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाना। जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि इमाम के उपदेशों को इस तरह से तैयार किया गया था कि वे धार्मिक अध्ययन या सामुदायिक कल्याण की आड़ में पेशेवरों को कट्टरपंथी बना सकें।

अधिकारियों ने इस नेटवर्क को 'व्हाइट-कॉलर आतंकवाद' का एक उदाहरण बताया है, जहां डॉक्टर और टीचर कथित तौर पर JeM और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे।

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